सवाल तो उठेंगेः विकास के नाम प्रकृति से खिलवाड! आईटी पार्क के लिए हैदराबाद के ‘लंग्स’ की कटाई, सोशल मीडिया पर छिड़ी बड़ी बहस

नई दिल्ली। हैदराबाद में 400 एकड़ में फैले कांचा गाजीबोवली जंगल को काटकर तेलंगाना सरकार आईटी पार्क बनाना चाहती है, जबकि यह क्षेत्र ‘डीम्ड फॉरेस्ट’ श्रेणी में आता है। डीम्ड फॉरेस्ट को कानूनी संरक्षण हासिल होता है और उसे काटा नहीं जा सकता है, लेकिन यहां 400 एकड़ वन को विकास के नाम पर नष्ट किया जा रहा है, जिसमें 237 पक्षी प्रजातियां, दुर्लभ स्टार कछुए और महत्वपूर्ण जल स्रोत हैं। बेजुबान जानवरों के आशियाने को नष्ट करके ये खुद के लिए गड्ढा खोदना जैसा है, क्योंकि जब इन जानवरों के घर ही नहीं रहेंगे, तब ये जानवर आबादी वाले क्षेत्र में जाएंगे। इस मामले में वहां छात्र और पर्यावरण कार्यकर्ता विरोध कर रहे है।
इस मामले को लेकर जहां सियासत गरमाई हुई है, वहीं सोशल मीडिया पर बड़ी बहस छिड़ी हुई है। इसको लेकर लोग अलग-अलग पोस्ट कर रहे हैं और इसे सीधे तौर पर प्रकृति के साथ खिलवाड़ बता रहे हैं। खबरों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने भी फिलहाल जंगलों के कटान पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने कहा कि तेलंगाना सरकार को जमीन पर पेड़ों की सुरक्षा के अलावा कोई गतिविधि नहीं करनी चाहिए। पीठ ने ये भी कहा कि तेलंगाना हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार की रिपोर्ट इसकी खतरनाक तस्वीर दिखाती है, जिससे पता चलता है कि बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए हैं।
बता दें कि कांचा गाजीबोवली जंगल 1974 में हैदराबाद यूनिवर्सिटी की स्थापना के समय आवंटित 2,300 एकड़ जमीन में से 400 एकड़ ज़मीन का हिस्सा था, लेकिन कानूनी तौर पर राज्य सरकार पूरी ज़मीन की मालिक है। पिछले कुछ सालों में तेलंगाना सरकार ने इस 2,300 एकड़ ज़मीन में से कई हिस्से बस डिपोए टेलीफोन एक्सचेंज, आईआईआईटी कैंपस, गचीबोवली स्पोर्ट्स स्टेडियम, शूटिंग रेंज आदि का निर्माण के लिए आवंटित किए हैं। विवादित 400 एकड़ जमीन को तत्कालीन संयुक्त आंध्र प्रदेश सरकार ने 2003 में एक निजी खेल प्रबंधन फर्म को सौंप दिया था, लेकिन 2006 में गैर-उपयोग के कारण इसे वापस ले लिया गया। लेकिन 400 एकड़ जमीन का कभी सीमांकन नहीं किया गया और न ही इसे जंगल के रूप में अधिसूचित किया गया।