पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने बर्खास्त कर्मचारी की पुनर्नियुक्ति का दिया आदेश, तकनीकी आधार पर खत्म की गई थी सेवा 

Punjab and Haryana High Court ordered the reappointment of the dismissed employee, whose service was terminated on technical grounds

पंचकूला। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक मामले में उस कर्मचारी की सेवा बहाल करने का आदेश दिया है, जिसकी सेवा हरियाणा सरकार ने पांच वर्षों तक नौकरी करने के बाद केवल तकनीकी आधार पर समाप्त कर दी थी। मामले के अनुसार याची ने सैनिक आश्रित होते हुए भी पूर्व सैनिक (एक्स-सर्विसमैन) श्रेणी में आवेदन कर दिया था। इस बारे में जस्टिस विनोद एस भारद्वाज की एकल पीठ ने कहा कि जब किसी व्यक्ति की नीयत में कोई छल नहीं हो और न कोई कपट नहीं किया हो, ऐसे में मात्र तकनीकी आधार पर उसे सेवा से वंचित रखना न्याय के मर्म के विरुद्ध होगा। कोर्ट ने यह भी रेखांकित किया कि यदि इस प्रकार के मामलों में न्यायालय केवल नियमों की शब्दश: व्याख्या करते हुए कठोर रूख अपनाए तो यह अन्याय को बढ़ावा देने जैसा होगा। क्योंकि इस प्रक्रिया में एक निर्दोष व्यक्ति की आजीविका और प्रतिष्ठा दांव पर होती है। 

हिसार निवासी मनेंद्र सिंह वास्तव में एक आश्रित थे, लेकिन उन्होंने ने भर्ती प्रक्रिया के दौरान पूर्व सैनिक श्रेणी के अंतर्गत आवेदन किया। वहीं, मनेंद्र सिंह द्वारा आवेदन के समय प्रस्तुत पात्रता प्रमाण-पत्र में आश्रित होने के स्पष्ट रूप से दर्शाया गया था। बावजूद इसके उन्हें सेवा में शामिल किया गया और फिर परिवीक्षा अवधि सफलतापूर्वक पूरी की। यहां तक कि आवश्यक परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद पूरे पांच वर्षों तक निर्विवाद रूप से सेवा दी. लेकिन इसके बाद हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग ने बिना किसी पूर्व चेतावनी मनेंद्र सिंह की अनुशंसा वापस लेते हुए उन्हें सेवा से हटा दिया। जस्टिस भारद्वाज ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता अब एक बालिका का पिता है। ऐसे में यह अपेक्षा करना कि वह युवाओं के साथ पुन प्रतियोगिता में भाग ले, न केवल अव्यावहारिक होगा, बल्कि अमानवीय भी। स्पष्ट किया कि एक विवाहित और पारिवारिक जिम्मेदारियों से बंधा व्यक्ति उस जोश, ऊर्जा और शैक्षणिक एकाग्रता के साथ प्रतियोगिता में नहीं उतर सकता,जैसा एक नवस्नातक युवक कर सकता है। कोर्ट ने माना कि याचिकाकर्ता के साथ अन्यायपूर्ण व्यवहार हुआ है। हाईकोर्ट ने अपने फैसले को संतुलित बनाते हुए आदेश दिया कि याचिकाकर्ता की पुनर्नियुक्ति करने के अलावा एक अन्य उस उम्मीदवार को भी नियुक्ति दी जाए, जो मेरिट में उनसे उपर था। मनेंद्र सिंह ने भी उस उम्मीदवार को वरिष्ठता का लाभ देने को तैयार होने पर सहमति जताई।