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पंतनगर विवि का कारनामाः पहले छात्रा को दिया प्रवेश पत्र! फिर ईडब्ल्यूएस का हवाला देकर निरस्त किया दाखिला, दर-दर भटकने को मजबूर हुई निहारिका

Pantnagar University's feat: First gave the admission letter to the student! Then cancelled the admission citing EWS, Niharika was forced to wander from door to door

पंतनगर। इसे लापरवाही कहें या फिर मनमानी! जो भी हो, गोविन्द बल्लभ पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने एक छात्रा का प्रवेश निरस्त कर दिया। इससे छात्रा मायूस हो गई। हैरानी की बात यह है कि छात्रा के पिता प्रवेश निरस्त नहीं करने को लेकर गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन विवि के अधिकारियों का दिल नहीं पसीजा। वहीं जब मामले को लेकर विवि के कुलसचिव डॉ. दीपा विनय और परीक्षा नियंत्रक डॉक्टर विनोद कुमार से बात करने की कोशिश की गई तो उनके मोबाइल स्विच ऑफ थे।

जानकारी के मुताबिक बिहार के ग्राम न्यू हर्नी चक अनीशाबाद पटना निवासी छात्रा निहारिका पुत्री पूरन शंकर सिंह ने पंत विवि के कृषि महाविद्यालय में कृषि ऑनर्स में बीएससी की थी। छात्रा को इस वर्ष कृषि एक्टेंशन एजुकेशन प्रोग्राम में एमएससी प्रथम वर्ष में आर्थिक रूप से कमजोर श्रेणी में दाखिला मिला। इसके लिए उनके द्वारा दो अगस्त को फीस जमा कर दी गई और चार अगस्त को काउंसलिंग में हिस्सा लिया गया। इसके बाद वह घर चली गई। बताया गया कि आठ अगस्त को विवि के परीक्षा नियंत्रक की ओर से छात्रा को मेल भेजकर बताया गया कि सिर्फ उत्तराखंड के अभ्यर्थियों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग यानी ईडब्ल्यूएस में दाखिला देने का नियम है। बाहरी राज्यों के लिए यह सुविधा नहीं है। परीक्षा नियंत्रक कार्यालय की गलती से आपको प्रवेश दिया गया है।

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उक्त मेल पढ़कर छात्रा और उसके परिजनों के पैरों तले जमीन खिसक गई। इसके बाद छात्रा अपने पिता के साथ विवि पहुंची और प्रवेश निरस्त न करने का अनुरोध किया। कहा कि जब उत्तराखंड के बाहर के छात्रों को ईडब्ल्यूएस कोटे से प्रवेश नहीं लेने का नियम है तो प्रवेश के लिए जारी विज्ञापन में इसका उल्लेख क्यों नहीं किया गया। उन्होंने विवि की नियमावली की बिंदु संख्या 22 और 26 का हवाला देते हुए बताया कि ईडब्ल्यूएस सब श्रेणी से संबंधित उल्लेख नहीं है। यह विवि प्रशासन की गलती है। इसमें उनका क्या दोष था? निहारिका का आरोप है कि उन्हें पिछले 10 दिन तक यह कहकर गुमराह किया जा रहा था कि स्पॉट में प्रवेश मिल जाएगा। इसके चलते वह अधिकारियों के चक्कर लगाती रही। बताया कि यहां प्रवेश मिलने की आस में उसने अन्य दो संस्थानों में प्रवेश के लिए काउंसलिंग में हिस्सा नहीं लिया। छात्रा ने कहा कि उनका पूरा साल खराब हो गया। वहीं छात्रा के पिता का कहना है कि विवि की लापरवाही से उनकी पुत्री का प्रवेश निरस्त हो गया।