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कुदरत की मारः इतिहास के पन्नों में सिमटकर रह गया छेनागाड़! आपदा ने मचाई भारी तबाही, मलबे में अपनों की तलाश

Nature's attack: Chenagad has been reduced to the pages of history! The disaster caused massive destruction, people are searching for their loved ones in the rubble

प्रवीन रावत

रुद्रप्रयाग। धराली, थराली के बाद रुद्रप्रयाग जिले का छेनागाड़ भयंकर तबाही का भेंट चढ़ गया। आपदा की ऐसी गर्जना वर्ष 2013 की आपदा के बाद एक बार फिर से सुनने को मिली। मानो आज ही पूरा क्षेत्र जमीन में समा जाए। ग्रामीणों की आंखों से वो खौफनाक मंजर दूर होने का नाम नहीं ले रहा है। आपदा की इस वीभत्स घटना ने रुद्रप्रयाग जिले के साथ ही पूरे उत्तराखण्ड को सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आखिर साल दर साल ये घटनाएं क्यों बढ़ती जा रही हैं। शुक्रवार सुबह तीन बजे जब जोर-जोर से गर्जना के साथ भयंकर तबाही मची तो बसुकेदार का छोटा सा बाजार छेनागाड़ मलबे में तब्दील हो गया। तबाही के इस मंजर ने जहां 18 भवनों को अपने आगोश में समाकर आठ लोगों को लापता कर दिया, वहीं पूरे बाजार का अस्तित्व ही खत्म कर दिया। तबाही में बचे विश्वनाथ बस सेवा के ड्राइवर और कंडक्टर ने खौफनाक मंजर के बाद अपनी जान को सकुशल पाकर भगवान को याद किया। इस बाढ़ में बस का आगे का हिस्सा अभी भी गदेरे की तरफ है, जिसकी तस्वीरें भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। इस तस्वीर को देखकर लोगों की रूह कांप रही है। छेनागाड़ के साथ ही कुदरत का कहर क्षेत्र के ताल जामण में भी देखने को मिला। यहां ग्रामीणों के आवासीय भवन मलबे में दब गए हैं। ग्रामीण इस दर्दनाक मंजर को भुला नहीं पा रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि जब यह खौफनाक मंजर देखा तो ऐसा लग रहा था जैसे पत्थर आपस में टकरा रहे हैं, मकाने हिलने लगे, बाहर आए तो आने-जाने के रास्ते बंद हो गए। ऐसे में वह रात भर जागते रहे। ग्रामीण संदीप ने बताया कि रात के तीन बजे बादल फटा और आवासीय भवन मलबे में दब गए। अभी दूसरों के यहां शरण लिए हुए हैं। उन्होंने बताया कि जब यह घटना हुई ऐसा लगा जैसे बम फट रहे हैं। भूकंप जैसा महसूस हो रहा था। इसके साथ ही अन्य इलाकों में ग्रामीणों के आवासीय भवनों में दरारें पड़ चुकी हैं। बसुकेदार में बादल फटने की घटना ने यहां के वांशिदों को वर्ष 2013 की केदारनाथ आपदा की याद दिला दी, जिससे उनकी रातों की नींद हराम हो गई है।

आपदा की भेंट चढ़ा प्रसिद्ध बिंदेश्वर महादेव मंदिर
बसुकेदार क्षेत्र में आई आपदा में बड़ेथ के पास प्रसिद्ध बिंदेश्वर महादेव मंदिर भी मलबे में दफन हो गया। मंदिर का सिर्फ गेट ही मलबे में बच पाया है, जबकि पूरा मंदिर मलबे में दफन हो गया है। इस मंदिर से क्षेत्र के लोगों की आस्था जुड़ी थी और समय-समय पर यहां कार्यक्रम होते रहते थे। खासकर महाशिवरात्रि पर्व पर यहां आयोजन होता था और हजारों की संख्या यहां पहुंचते थे, मगर अब मंदिर का नामोनिशां ही मिट गया है। मंदिर के आपदा में दफन होने से ग्रामीण इसे अशुभ संकेत मान रहे हैं। उनका कहना है कि बिंदेश्वर महादेव को क्षेत्र के रक्षक के रूप में पूजा जाता है और मंदिर के मलबे में दफन होने से यह भविष्य के लिए अशुभ संकेत से कम नहीं है।

आपदाग्रस्त इलाकों तक पहुंचने में लगा समय
भारी बारिश के कारण केदारनाथ हाईवे बांसबाड़ा में बंद हो गया, जिसको खोलने में विभाग को दोपहर तक का समय लग गया। ऐसे में बसुकेदार क्षेत्र के आपदा ग्रस्त इलाकों में पहुंचने में अधिकारियों को काफी देरी हुई। यहां तक कि जाम में केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल भी फंसी रही। बसुकेदार मार्ग को जोड़ने वाले मार्ग से कुछ दूरी पर बांसबाड़ा में भूस्खलन होने से अधिकारियों, केदारनाथ विधायक और मीडिया कर्मियों को आपदाग्रस्त इलाकों में पहुंचने में घंटों तक का इंतजार करना पड़ा। 

एसपी कोंडे भी पूरी घटना पर बनाए रखे नजर
बसुकेदार क्षेत्र में आपदा आने के बाद पुलिस अधीक्षक भी एक्टिव मोड में नजर आए। एसपी अक्षय प्रहलाद कोंडे बड़ेथ, डुंगर से पैदल चलकर क्षतिग्रस्त मार्ग को पार करते हुए तहसील बसुकेदार के आपदा प्रभावित क्षेत्र ताल जामण पहुंचे। जहां प्रभावित क्षेत्रों का भ्रमण कर हुए अतिवृष्टि से नुकसान का जायजा लिया। साथ ही स्थानीय लोगों से देर रात में उपजे हालातों की जानकारी ली। राजकीय प्राथमिक विद्यालय ताल जामण पहुंचकर प्रभावित ग्रामीणों से मुलाकात भी की। वहीं डीएम ने सम्बन्धित अधिकारियों को सड़क व पैदल मार्ग को दुरुस्त किए जाने समेत आवश्यक सामग्री ग्रामीणों तक भिजवाए जाने के निर्देश भी दिए।