Awaaz24x7-government

नैनीताल:आपदा पीड़ितों का अनाज सड़ने के मामले में उत्तराखंड हाईकोर्ट ने खाद्य आपूर्ति विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों को किया तलब

Nainital: Uttarakhand High Court summons senior officials of the Food Supply Department in the matter of rotting of food grains meant for disaster victims.

उत्तराखंड हाईकोर्ट में उधम सिंह नगर जिले से जुड़ी एक अहम जनहित याचिका पर सुनवाई हुई, जिसमें वर्ष 2021 में आपदा पीड़ितों के लिए आवंटित 99 क्विंटल से अधिक अनाज के बिना वितरण एवं उचित रखरखाव के कारण सड़-गलकर खराब हो जाने का मामला उठाया गया है। इस प्रकरण में जिलाधिकारी द्वारा दोषियों से रिकवरी के दिए गए आदेश को जिला खाद्य आपूर्ति आयुक्त द्वारा माफ किए जाने को चुनौती दी गई है। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र एवं न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ के समक्ष हुई।

मामले की सुनवाई के दौरान अदालत ने गंभीर टिप्पणी करते हुए खाद्य आपूर्ति विभाग के कमिश्नर, उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी, जिला खाद्य आपूर्ति अधिकारी तथा डिस्पैच क्लर्क को आगामी मंगलवार (10 दिसंबर) को व्यक्तिगत रूप से न्यायालय में उपस्थित होकर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने विशेष रूप से यह स्पष्ट करने को कहा है कि जब सामान्यतः प्रत्येक कार्यालय में एक ही डिस्पैच रजिस्टर होता है, तो यहां दो अलग-अलग रजिस्टर कैसे पाए गए।

आज की सुनवाई के दौरान उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी सुबह साढ़े दस बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से न्यायालय के समक्ष उपस्थित हुए और एक डिस्पैच रजिस्टर प्रस्तुत किया, जिसका न्यायालय ने अवलोकन किया। सुनवाई के दौरान जिलाधिकारी ने यह भी बताया कि एक अन्य डिस्पैच रजिस्टर भी मौजूद है, जिसे कोर्ट के निर्देश पर लंच के बाद लगभग साढ़े तीन बजे न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। दोनों रजिस्टरों के अवलोकन के बाद कोर्ट ने उनमें अनियमितताएं पाई, जिसके बाद संबंधित अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होकर स्पष्टीकरण देने के आदेश दिए गए।

यह जनहित याचिका हरिद्वार निवासी अभिजीत द्वारा दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि वर्ष 2021 में सस्ता गल्ला योजना के अंतर्गत वितरित किए जाने वाले 99 क्विंटल से अधिक अनाज को लापरवाहीपूर्वक रखा गया, जिससे वह सड़-गलकर नष्ट हो गया। मामले की जांच के बाद उधम सिंह नगर के जिलाधिकारी ने दोषियों से राशि की वसूली के आदेश जारी किए थे, लेकिन जिन्हें खाद्य आपूर्ति आयुक्त द्वारा बाद में माफ कर दिया गया।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से मांग की है कि सस्ता गल्ला योजना में हुए कथित घोटाले की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।