बिहार एनडीए के कई नेताओं को विधानसभा चुनाव में नहीं मिलेगा टिकट! दावेदारों को मिली आयोग में जगह,गजब है स्क्रूटनी का प्लान

पटना। राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन यानी एनडीए के अंदर चुनाव लड़ने वालों की लंबी चौड़ी फौज है। कई ऐसी सीट भी है, जिस पर बीजेपी और जेडीयू दोनों का दावा है। एनडीए के बड़े नेताओं ने एक रणनीति तैयार की, जिसके तहत दर्जन भर से अधिक दावेदारों को आयोग में जगह दे दी गई। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जिन्हें आयोग में जगह दे दी गई, क्या वह विधानसभा चुनाव के मैदान से बाहर हो गए हैं? जानकार भी कहते हैं कि स्क्रूटनी का प्लान देखकर तो ऐसा ही लगता है।
अक्टूबर-नवंबर में बिहार विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में लगभग एक दशक के बाद नीतीश सरकार ने बोर्ड-निगम और आयोग के गठन को अंतिम रूप दे दिया है। वैसे तो सैकड़ों की तादाद में बीजेपी और जेडीयू के कार्यकर्ताओं को भी जगह मिली है लेकिन सूची में कई ऐसे नाम भी हैं, जो इस बार विधानसभा चुनाव के दौरान टिकट के दावेदार माने जा रहे थे। जनता दल यूनाइटेड की अगर बात करें तो फेहरिस्त में वैसे नेताओं के नाम भी शामिल हैं, जो पहले चुनाव लड़ चुके हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन प्रसाद पार्टी को सवर्ण आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है, जबकि वह 2015 में दीघा विधानसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। पूर्व मंत्री और ब्रह्मपुर से विधायक रह चुके अजीत चौधरी को मछुआरा आयोग का उपाध्यक्ष बनाया है। मंजीत सिंह बैकुंठपुर से जेडीयू के टिकट पर विधायक रह चुके हैं। इस सीट पर बीजेपी के पूर्व विधायक मिथिलेश तिवारी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में मंजीत को बिहार राज्य नागरिक परिषद में उपाध्यक्ष बनाया गया है। जेडीयू के वरिष्ठ नेता सलीम परवेज छपरा से चुनाव लड़ना चाहते थे और पहले विधान पार्षद रह चुके हैं, उनको बिहार राज्य मदरसा बोर्ड का अध्यक्ष बनाया गया है। इसके अलावे अरुण कुमार सिंह को नागरिक परिषद में महासचिव बनाया गया है, जबकि वह मसौढ़ी से चुनाव लड़ चुके हैं।
भारतीय जनता पार्टी ने भी टिकट की चाह रखने वाले कई नेताओं को आयोग में जगह दी है। पूर्व विधान पार्षद रणवीर नंदन को बिहार राज्य धार्मिक न्यास पर्षद का अध्यक्ष बनाया गया है, वह कुम्हरार विधानसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहते थे। महाचंद्र प्रसाद सिंह बनियापुर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनको सवर्ण आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया है। बीजेपी नेता मृत्युंजय झा मधुबनी विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे लेकिन उनको संस्कृत शिक्षा बोर्ड का अध्यक्ष बना दिया गया है। वहीं, प्रवक्ता अरविंद कुमार सिंह भी औरंगाबाद से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उनको बाल श्रमिक आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है. रूपनारायण मेहता को लेकर बीजेपी के अंदर घमासान मचा है। वह पटना सिटी से विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन इनको किसान आयोग का अध्यक्ष बना दिया गया है। वह पटना महानगर जिला अध्यक्ष भी हैं। इसके अलावे सहयोगी हम और एलजेपीआर के नेताओं को भी आयोग में अहम जिम्मेदारी मिली है। जीतनराम मांझी के दामाद देवेंद्र मांझी ने 2020 में मखदुमपुर विधानसभा सीट (सुरक्षित) से चुनाव लड़ा था। उनको बिहार राज्य अनुसूचित आयोग का उपाध्यक्ष बनाया गया है। वहीं, रामविलास पासवान के दामाद और चिराग पासवान के जीजा मृणाल पासवान को भी आयोग में जगह मिली है। उनको बिहार राज्य अनुसूचित आयोग का अध्यक्ष बनाया गया है, वह कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट से मजबूत दावेदार माने जा रहे थे।