इसरो ने फिर रचा इतिहास! नेविगेशन सैटेलाइट के सफल प्रक्षेपण के साथ पूरा किया 100वां मिशन, NVS-02 नेविगेशन सैटेलाइट लॉन्च
नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक बार फिर इतिहास रचा है। बुधवार को इसरो ने अपने 100वें मिशन के तहत एक नया नेविगेशन सैटेलाइट अंतरिक्ष में भेजा। यह प्रक्षेपण दक्षिण भारत के श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से किया गया। इस मिशन के तहत जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV-F15) को सुबह 6:23 बजे प्रक्षेपित किया गया। यह सैटेलाइट भारत के नेविगेशन सिस्टम को और मजबूत करेगा। खास बात यह रही कि यह इसरो के नए अध्यक्ष वी. नारायणन के नेतृत्व में पहला प्रक्षेपण था, जिन्होंने हाल ही में पदभार संभाला है। इस सफलता के बाद इसरो को देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसरो को बधाई देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। टीम इसरो ने एक बार फिर भारत को गौरवान्वित किया है। विक्रम साराभाई और सतीश धवन की दूरदृष्टि से शुरू हुई यात्रा आज नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई है। यह प्रक्षेपण भारत के NavIC (नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन) सिस्टम का हिस्सा है। यह एक स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली है, जो भारत को विदेशी GPS सेवाओं पर निर्भरता कम करने में मदद करेगी। इससे भारत के परिवहन, सैन्य, समुद्री, कृषि और संचार क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आएगा।
कैसे करेगा यह सैटेलाइट काम?
NVS-02 उपग्रह कई महत्वपूर्ण कार्यों के लिए डिजाइन किया गया है। यह ज़मीन, हवा और समुद्र में नेविगेशन में मदद करेगा। इसके अलावा, सटीक कृषि, बेड़े प्रबंधन (फ्लीट मैनेजमेंट) और मोबाइल लोकेशन सर्विसेज में भी यह अहम भूमिका निभाएगा। इसरो का कहना है कि यह उपग्रह इंटरनेट-ऑफ-थिंग्स (IoT) और आपातकालीन सेवाओं में भी मदद करेगा। इस मिशन की सफलता इसरो को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और मजबूत बनाएगी। हाल के वर्षों में इसरो ने कई महत्वपूर्ण मिशन पूरे किए हैं, जिनमें चंद्रयान, मंगल मिशन और विदेशी उपग्रहों के प्रक्षेपण शामिल हैं। यह मिशन भारत को वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में आगे रखने में मदद करेगा। यह लॉन्च सिर्फ एक मिशन नहीं, बल्कि इसरो की वर्षों की मेहनत और तकनीकी प्रगति का प्रमाण है। इस सफलता ने इसरो को दुनिया की शीर्ष अंतरिक्ष एजेंसियों की सूची में और मजबूत कर दिया है। आने वाले समय में इसरो ऐसे और भी मिशन लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है, जिससे भारत की अंतरिक्ष तकनीक नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।