नई जीएसटी दरों से महंगाई का झटका, विपक्ष ने साधा निशाना, सरकार बोली- राजस्व और स्वास्थ्य हित में फैसला

नई दिल्ली। लंबे समय से चर्चा में रहे जीएसटी स्लैब में बदलाव का फैसला आखिरकार केंद्र सरकार ने ले लिया है। वित्त मंत्रालय की अगुवाई में हुई जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक के बाद नई दरों का ऐलान किया गया। सरकार के इस फैसले के साथ ही देश में कई चीजें अब महंगी हो जाएंगी। खासतौर पर लग्जरी वाहन, पान मसाला, तंबाकू, एनर्जी ड्रिंक और शुगर युक्त पेय पदार्थों पर उपभोक्ताओं की जेब और ढीली होने वाली है। सरकार ने जीएसटी के 12% और 28% वाले स्लैब को खत्म करते हुए 5% और 18% वाले पुराने स्लैब को बरकरार रखा है। वहीं, एक नया 40% का टैक्स ढांचा लागू किया गया है, जो मुख्यतः उन वस्तुओं और सेवाओं पर केंद्रित है जिन्हें या तो विलासिता की श्रेणी में रखा जाता है या जिन्हें सरकार हतोत्साहित करना चाहती है।
किन चीजों पर लगेगा 40% जीएसटी
नई दरों के लागू होते ही कई वस्तुओं पर बड़ा असर दिखेगा। इनमें शामिल हैं—
350 सीसी से अधिक क्षमता वाली मोटरसाइकिल
पान मसाला, गुटखा, बीड़ी और अन्य तंबाकू उत्पाद
चीनी या मिठासयुक्त वातित जल
सुगंधित और कैफीनयुक्त पेय पदार्थ
पेट्रोल के लिए 1200 सीसी और डीजल के लिए 1500 सीसी से बड़ी सभी कारें
निजी उपयोग के लिए विमान, हेलीकॉप्टर और लग्जरी यॉट
सरकार का तर्क है कि ये सभी वस्तुएं या तो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं या फिर समाज के एक सीमित वर्ग की विलासिता से जुड़ी हुई हैं। इसलिए इन पर उच्चतम कर लगाया गया है।
0 प्रतिशत की ऊपरी दर उन उत्पादों पर लागू होगी जिन्हें सरकार हतोत्साहित करना चाहती है या जिन्हें विलासिता माना जाता है। कोल और अन्य कार्बोनेटेड पेय पदार्थों पर कर 28% से बढ़कर 40% हो जाएगा।चीनी युक्त जूस और ऊर्जा पेय की कीमत भी अधिक होगी, जिससे लंच बॉक्स और शहरी फिटनेस दिनचर्या प्रभावित होगी। पान मसाला और चबाने वाले तंबाकू को भी इसी श्रेणी में रखा गया है, जो स्वास्थ्यवर्धक आदतों की ओर एक स्पष्ट संकेत है। लग्जरी मोटरसाइकिलों और महंगी कारों पर भी अब 40% की दर लागू हो गई है, जिससे महत्वाकांक्षी खरीदारों के लिए और भी मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। नई दरों के ऐलान के बाद विपक्षी दलों ने सरकार पर सीधा हमला बोला है। कांग्रेस ने इसे ‘जनविरोधी फैसला’ बताते हुए कहा कि सरकार महंगाई से जूझ रही जनता पर और बोझ डाल रही है। कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा, “पहले से ही खाद्य वस्तुओं से लेकर दवा तक महंगी हो चुकी हैं, अब सरकार ने लग्जरी के नाम पर आम मध्यम वर्ग की आकांक्षाओं पर भी कर का पहाड़ डाल दिया है। 350 सीसी बाइक आज के युवाओं का सपना है, जिसे सरकार ने विलासिता मान लिया है।” वहीं, वाम दलों ने इसे गरीब और मध्यम वर्ग विरोधी बताते हुए कहा कि सरकार का पूरा ध्यान राजस्व बढ़ाने पर है, जबकि बेरोजगारी और महंगाई से राहत देने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा।
वित्त मंत्रालय ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह फैसला सोच-समझकर लिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा, “पान मसाला, गुटखा और मीठे पेय पदार्थ जैसी वस्तुएं स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह हैं। बढ़ा हुआ कर दर इनके खपत को नियंत्रित करेगा। वहीं, लग्जरी कार और यॉट जैसे सामानों पर कर बढ़ाना सामाजिक न्याय की दिशा में कदम है, ताकि आम जरूरत की वस्तुएं सस्ती बनी रहें और राजस्व का संतुलन बिगड़े नहीं।” सरकार का दावा है कि 12% और 28% स्लैब खत्म करने से कर संरचना सरल हो जाएगी और व्यापारियों को भी फायदा मिलेगा। वहीं, 5% और 18% वाले स्लैब को यथावत रखने से आम उपभोक्ता पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा। नई दरों का सीधा असर शहरों की युवा और मध्यमवर्गीय आबादी पर पड़ेगा। 350 सीसी से ऊपर की मोटरसाइकिल खरीदने वाले युवाओं को अब अतिरिक्त खर्च उठाना होगा। फिटनेस और शहरी जीवनशैली का हिस्सा बन चुके एनर्जी ड्रिंक और फ्लेवर युक्त जूस अब और महंगे हो जाएंगे। इससे जिम और ऑफिस-गोइंग वर्ग पर असर पड़ना तय है। तंबाकू और गुटखा की कीमतें बढ़ने से छोटे कस्बों और ग्रामीण इलाकों में खपत कम हो सकती है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञ इसे सकारात्मक कदम मान रहे हैं और कह रहे हैं कि यह नशामुक्त समाज की दिशा में एक अहम पहल है। नई दरों के ऐलान के बाद देशभर में राजनीतिक बहस भी तेज हो गई है। सत्ताधारी दल के नेताओं ने इसे ‘आवश्यक और दूरगामी सुधार’ बताया है, जबकि विपक्ष लगातार इसे जनविरोधी करार दे रहा है। अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले जीएसटी में यह बड़ा बदलाव सियासी मुद्दा बनता दिख रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जहां सरकार इस फैसले को राजस्व वृद्धि और स्वास्थ्य सुरक्षा के तौर पर पेश करेगी, वहीं विपक्ष इसे महंगाई और आम जनता की जेब से जोड़कर चुनावी हथियार बनाएगा। नई जीएसटी दरों ने देश की अर्थव्यवस्था और राजनीति, दोनों को झकझोर दिया है। अब देखना यह होगा कि बढ़ी दरों का असर उपभोक्ता व्यवहार पर कितना पड़ता है और आने वाले महीनों में यह मुद्दा चुनावी रैलियों और बहसों में किस तरह हावी होता है। इतना तय है कि 40% जीएसटी स्लैब लागू होने के बाद देश में महंगाई और सियासत, दोनों का तापमान बढ़ने वाला है।