Fact Check: झूठा निकला सोशल मीडिया पर वायरल ‘मथुरा के मंदिर की जमीन’ से जुड़ा मामला! जमीन, कब्रिस्तान और अखिलेश यादव का नाम... जानें क्या है पूरा मामला?

सोशल मीडिया पर भ्रामक और झूठी खबरें फैलाना अब आम बात हो गयी है। आए दिन ऐसे मामले सामने आते रहते हैं, जिनका हकीकत से दूर-दूर तक कोई नाता नहीं होता। हैरानी की बात ये है कभी-कभी लोग गंभीर मुद्दों को लेकर भी भ्रम फैलाने से बाज नहीं आते। कुछ ऐसा ही एक मामला मथुरा के बांके बिहारी मंदिर की जमीन से जुड़ा सोशल मीडिया पर सामने आया है। दरअसल, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल हो रही है। इसमें दावा किया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मथुरा में बांके बिहारी मंदिर की 12 एकड़ जमीन वापस कर दी है। यह जमीन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कब्रिस्तान के लिए मुस्लिम ट्रस्ट को दे दी थी। जब हमने वायरल पोस्ट की जांच की तो यह भ्रामक साबित हुई। वर्ष 2023 की खबर को अभी का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है। मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव स्थित मंदिर बांके बिहारी जी महाराज के नाम दर्ज जमीन से जुड़े केस के फैसले को गलत संदर्भ के साथ भ्रामक तरीके से वायरल किया जा रहा है।
सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में दावा किया गया है इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया। कोर्ट ने मथुरा में बांके बिहारी मंदिर की 12 एकड़ जमीन वापस कर दी है। यह जमीन पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने रातों-रात अवैध रूप से कब्रिस्तान के लिए मुस्लिम ट्रस्ट को दे दी थी। माननीय न्यायालय ने कहा कि यह मामला दुनिया में अपनी तरह का अनूठा मामला है, जहां एक हिंदू मंदिर की भूमि को बिना किसी वैध कारण के अचानक दूसरे समूह को हस्तांतरित कर दिया गया। कल्पना कीजिए कि अगर ऐसा नेता दोबारा सत्ता में आ जाए तो क्या होगा! और कितने अन्यायपूर्ण कार्य होंगे? आज न्याय की जीत हुई है और मंदिर की भूमि को सही तरीके से वापस लौटा दिया गया है। निष्पक्षता सुनिश्चित करने के लिए न्यायालय का आभार। वायरल पोस्ट के कंटेंट को यहां ज्यों का त्यों ही लिखा गया है। इसे सच मानकर कई यूजर्स शेयर कर रहे हैं।
हमने वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए सबसे पहले गूगल ओपन सर्च टूल का इस्तेमाल किया। संबंधित दावे के आधार पर कुछ कीवर्ड बनाए गए और फिर इन्हें सर्च किया गया। हमें हाल के दिनों की एक भी ऐसी खबर नहीं मिली, जिससे यह पुष्टि हो सके कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल-फिलहाल में ऐसा कोई फैसला दिया हो। इस पड़ताल में पता चला कि वर्ष 2023 की खबर को अभी का बताकर भ्रम फैलाया जा रहा है। मथुरा की छाता तहसील के शाहपुर गांव स्थित मंदिर बांके बिहारी जी महाराज के नाम दर्ज जमीन से जुड़े केस के फैसले को गलत संदर्भ के साथ भ्रामक तरीके से वायरल किया जा रहा है।