महिला ने अंडरवियर पहना हो तो भी पुरूष के प्राइवेट पार्ट के रगड़ने को माना जायेगा रेप,किस मामले में इस राज्य की हाईकोर्ट ने सुनाया ये फैसला जानिए खबर के लिंक में

Even if the woman is wearing underwear, rubbing the private part of the male will be considered rape, in which case the High Court of this state has given this decision, know in the link of the news

ब्लात्कार के मामलों में कई राज्यो की हाईकोर्ट ऐसे ऐसे फैसले सुना चुकी है जो पूरे देश के लिए नजीर साबित हुए है। ऐसा ही एक फैसला मेघालय हाईकोर्ट ने सुनाया है। कोर्ट ने फैसले में पीड़िता के दर्द को समझते हुए कहा है कि अगर महिला के प्राइवेट पार्ट से पुरुष अपना प्राइवेट पार्ट केवल रगड़ता ही है तो भी पुरुष को बालात्कार का दोषी ठहराया जा सकता है उस हालात में भले ही महिला का अंडरवियर न उतरा हो। 
मेघालय हाईकोर्ट का ये फैसला पूरे राज्यभर में सुर्खियों में बना है। इस फैसले से लड़कियों को शारीरिक रूप से सताने वाले लड़कों में भय बनेगा। दरअसल मेघालय हाईकोर्ट का ये फैसला साल 2006 के उस मामले से जुड़ा था जब दस साल की नाबालिग के साथ मोलेस्टेशन किया गया था। पीड़िता के परिजनों ने 30 सितंबर 2006 को मोलेस्टेशन की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद पीड़िता का मेडिकल करवाया गया,जिसमे खुलासा हुआ कि पीड़िता के प्राइवेट पार्ट को बहुत नुकसान पहुंचा था,और ये नुकसान हाइमन में बिना फिजिकल एक्टिविटी के पहुंचा था यानी दोषी ने पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में कपड़े के ऊपर से ही अपना लिंग ज़ोर से रगड़ा था। इस मामले में निचली अदालत ने दोषी चियरफुलसन स्नैगतांग को साल 2018 में दोषी करार दिया। इसके बाद दोषी ने हाईकोर्ट में ये कहकर अपील की की निचली अदालत ने उसके शब्दो का गलत अनुवाद किया और कबूलनामा समझ कर मुझे दोषी ठहराया। दोषी ने ये भी कहा कि उसने नाबालिग का बलात्कार नही किया था बल्कि केवल अपना लिंग अंडरवियर के ऊपर रगड़ा था।
मामले की सुनवाई होते होते नाबालिग वयस्क बन चुकी थी और उसने भी कोर्ट के समक्ष यही कहा कि आरोपी ने अंडरवियर के ऊपर ही लिंग रगड़ा था। उसने अंडरवियर नही हटाया लेकिन उस दौरान पीड़िता को दर्द बहुत हुआ। 
मेघालय हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजीव बनर्जी और न्यायमूर्ति वानलुरा डिएंग दोह की अदालत की खंडपीठ ने माना कि धारा 375 के तहत किसी भी हद तक पेनिट्रेशन दोषी पाए जाने के लिए ये काफ़ी है कोर्ट ने स्नैगतांग की सजा की बरकरार रखी। 
आपको बता दें कि आईपीसी की धारा 375(B) के मुताबिक किसी भी महिला के प्राइवेट पार्ट में बिना सहमति के पुरुष प्राइवेट पार्ट का पेनिट्रेशन बलात्कार की श्रेणी में ही आता है मेघालय हाईकोर्ट ने इस मामले में आईपीसी की धारा 375 का हवाला देते हुए कहा कि रेप के केस में सिर्फ पेनिट्रेशन ज़रूरी नही आईपीसी की धारा 375(B)  के मुताबिक मेल का प्राइवेट पार्ट महिला के प्राइवेट पार्ट से टच भी हो भले ही महिला ने अंडरवियर पहना हो तो भी ये पेनिट्रेशन की श्रेणी में आता है इसीलिए इस मामले को पेनिट्रेशन मानते हुए रेप ही कहा जायेगा I