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पैगंबर मोहम्मद साहब के वंशज लेकिन आधुनिक सोच: पीएम मोदी के जॉर्डन दौरे में दिखी शाही परिवार की अलग पहचान! धार्मिक कट्टरपंथी से दूर है पैगंबर मोहम्मद साहब का परिवार, खुद ड्राइव कर पीएम मोदी को म्यूज़ियम तक ले गए क्राउन प्रिंस

Descendants of Prophet Muhammad but with a modern outlook: The Jordanian royal family's distinct identity was evident during PM Modi's visit; the Prophet Muhammad's family is far removed from religio

करीब सात वर्षों के अंतराल के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री ने जॉर्डन की आधिकारिक यात्रा की है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वागत न केवल कूटनीतिक गर्मजोशी से हुआ, बल्कि जॉर्डन के शाही परिवार की सादगी और आधुनिक जीवनशैली भी अंतरराष्ट्रीय चर्चा का विषय बन गई। जॉर्डन के क्राउन प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय ने खुद प्रधानमंत्री मोदी को अपनी कार में बिठाकर जॉर्डन म्यूज़ियम तक पहुंचाया। यह दृश्य दोनों देशों के बीच मजबूत होते आपसी संबंधों और आपसी सम्मान का प्रतीक माना जा रहा है।

प्रधानमंत्री मोदी की इस यात्रा के दौरान भारत और जॉर्डन के बीच ऊर्जा, डिजिटल तकनीक, जल प्रबंधन, संस्कृति और जन-स्तरीय संपर्क जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में कई समझौता ज्ञापन (MoU) और सहयोग समझौते अंतिम रूप दिए गए। प्रधानमंत्री ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर साझा संदेश में कहा कि नवीकरणीय ऊर्जा में सहयोग स्वच्छ विकास, ऊर्जा सुरक्षा और जलवायु जिम्मेदारी के प्रति दोनों देशों की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाता है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, नई और नवीकरणीय ऊर्जा में तकनीकी सहयोग, जल संसाधन प्रबंधन एवं विकास, भारत के एलोरा और जॉर्डन के पेट्रा के बीच ट्विनिंग एग्रीमेंट, 2025–29 के लिए सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के नवीनीकरण और डिजिटल समाधानों के साझा उपयोग को लेकर आशय पत्र पर सहमति बनी है।

इस दौरे के बीच जॉर्डन के शाही परिवार की पृष्ठभूमि और सोच भी चर्चा में रही। जॉर्डन के राजा किंग अब्दुल्ला द्वितीय को पैगंबर मोहम्मद साहब की 41वीं पीढ़ी का प्रत्यक्ष वंशज माना जाता है। उनकी वंशावली हज़रत फ़ातिमा और हज़रत अली के माध्यम से इमाम हसन और इमाम हुसैन तक जाती है। इसके बावजूद जॉर्डन का शाही परिवार कट्टर धार्मिक छवि से अलग एक आधुनिक और उदार दृष्टिकोण के लिए जाना जाता है। जॉर्डन में सामाजिक जीवन अपेक्षाकृत खुला है। यहां पर्यटन, नाइटलाइफ़ और पहनावे को लेकर कठोर प्रतिबंध नहीं हैं। किंग अब्दुल्ला द्वितीय स्वयं उच्च शिक्षित हैं और शाही परिवार से होने के बावजूद उन्होंने सेना में एक सामान्य अधिकारी के रूप में सेवा दी। उन्होंने करीब 15 वर्षों तक सेना में रहते हुए आतंकवादी संगठन आईएस के खिलाफ अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाई।

आईएस द्वारा जॉर्डन के एक पायलट की हत्या के बाद किंग अब्दुल्ला द्वितीय ने स्वयं सैन्य वर्दी पहनकर आतंकवाद के खिलाफ मोर्चा संभाला था। इतना ही नहीं, उन्होंने अपने बेटे को भी जॉर्डन की सेना में भर्ती कराया, जहां वह एक आम सैनिक की तरह सेवाएं दे रहे हैं। ब्रिटेन से शिक्षित किंग अब्दुल्ला द्वितीय और उनकी पत्नी भी आधुनिक सोच के लिए पहचाने जाते हैं। जॉर्डन की महारानी सार्वजनिक जीवन में पारंपरिक हिजाब या बुर्का नहीं पहनतीं, हालांकि वह धार्मिक यात्राओं और आस्था से जुड़े आयोजनों में भाग लेती हैं। पैगंबर के प्रत्यक्ष वंशज होने के बावजूद जॉर्डन के शाही परिवार ने कट्टरपंथ को कभी बढ़ावा नहीं दिया। देश में शरिया कानून लागू नहीं है और सामाजिक-धार्मिक स्वतंत्रता को प्राथमिकता दी जाती है। यही वजह है कि जॉर्डन को मध्य-पूर्व के अपेक्षाकृत उदार और स्थिर देशों में गिना जाता है। प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा न केवल भारत-जॉर्डन रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करता है, बल्कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और वैचारिक जुड़ाव को भी नई दिशा देता है।