कुमाऊं विवि के डीएसबी कैम्पस में पूर्व में संजय पंडित द्वारा आयोजित किये गए सुप्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश द्वारा लिखित नाटक लहरों के राजहंस को आगामी 16 मार्च के दिन मुंबई में 13वें बसंत नाट्योत्सव में प्रस्तुत किया जाएगा। पहली बार उत्तराखंड से कोई नाटक इस फेस्टिवल के लिए चयनित हुआ है जो कि उत्तराखंड के लिए बेहद गर्व की बात है।इससे पहले लहरों के राजहंस का चयन शिल्पग्राम उदयपुर राजस्थान में हुआ था।
आपको बता दें कि विक्टोरियस थिएटर कल्चरल एंड सोसाइटी मुंबई द्वारा पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में 3 माह की अभिनय कार्यशाला आयोजित की गई थी। कार्यशाला का आयोजन एकेडमी ऑफ़ थियेटर आर्ट्स मुंबई से प्रशिक्षित और मास्टर ऑफ थियेटर आर्ट्स के संजय पंडित द्वारा किया गया था।
कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य विद्यार्थियों को थिएटर के प्रति जागरूक करना है। कार्यशाला के जरिए जिंदगी में अनुशासन सिखाना है और साथ ही इस कार्यशाला में विद्यार्थियों को बॉडी लैंग्वेज, स्पीच ,वॉइस पर भी काम किया गया।
इनदिनों भी संजय पंडित के साथ उनके साथ मुंबई से आये एक्टर, डायरेक्टर, एक्टिंग कोच, और मास्टर ऑफ थियेटर आर्ट्स के प्रेम आर्या विद्यार्थियों को एक्टिंग के गुर सीखा रहे हैं।
इस कार्यशाला में 50 से 60 विद्यार्थियों ने अपनी पर्सनैलिटी डिवेलप की और कार्यशाला के दौरान ही सुप्रसिद्ध नाटककार मोहन राकेश द्वारा लिखित प्रसिद्ध नाटक "लहरों के राजहंस" की तैयारी भी की गई। जिसका निर्देशन एक्टर डायरेक्टर एक्टिंग कोच संजय पंडित ने किया गया था, इसके बाद इस नाटक को तमाम मंचो में कई बार प्रस्तुत किया गया।
लहरों के राजहंस नाटक इतना प्रसिद्ध हुआ कि नैनीताल ही नही बल्कि दूर दूर तक इस नाटक की चर्चाएं हुई नाटक ने तमाम मीडिया ग्रुप्स में सुर्खियां बटोरीं, जिसके बाद इस नाटक का चयन शिल्पग्राम उदयपुर राजस्थान में हुआ और अब नाटक लहरों के राजहंस की प्रस्तुति मुंबई के 13वें बसंत नाट्योत्सव में की जायेगी जो कि कुमाऊं विवि के लिए भी गर्व की बात है क्योंकि नाटक में कुमाऊं विवि के डीएसबी कैम्पस के विद्यार्थी इस नाटक में अहम भूमिका में है। रंगकर्मी मास्टर ऑफ थिएटर आर्ट्स संजय पंडित और सहयोगी बबीता विश्वकर्मा ने इस नाटक तैयार किया। सौन्दर्यकरण के बाद बीएम शाह ओपन थियेटर नैनीताल में उद्घाटन के बाद सर्वप्रथम इसी नाटक का आयोजन किया गया जिसमें दर्शकों ने नाटक की खूब सराहना की।
नाटक लहरों के राजहंस की कहानी का केन्द्रीय पात्र गौतम बुद्ध का सौतेला भाई नंद व्यक्ति के मन का प्रतीक था। नंद के सांसारिकता में उलझे रहने और गौतम बुद्ध से प्रभावित होकर भिक्षु बन जाने के मानसिक द्वन्द्व को नाटक में मंथन रस्तोगी ने और नंद की रूप गर्विता पत्नी सांसारिकता की प्रतीक है। नंद के पात्र में मंथन रस्तोगी ने और अपने सौंदर्य और रूप के मद में आत्ममुग्ध नंद की पत्नी सुंदरी के रूप में मानसी शर्मा ने शानदार अभिनय से जीवंत किया।
अन्य पात्रों के रूप में पुनीत सिंह, योगिता तिवारी, राहुल मल्ल, सौम्यता बिष्ट, आरती राजपूत, नवल आर्या, महेन्द्र कुमार, कृष्णा बिष्ट, रजत जोशी, लक्ष्मी मलारा, बबली विश्वकर्मा,अनमोल आर्या ने भी बेहतरीन अभिनय किया।
अत्यंत गंभीर विषय पर आधारित नाटक की प्रस्तुति बहुत कठिन है लेकिन अपनी परिकल्पना से निर्देशक और सहज अभिनय से कलाकारों ने इसे जीवंत कर दिखाया है अब मुंबई में लहरों के राजहंस को क्या प्रतिक्रिया मिलती है ये देखने वाली बात होगी।