सावधानः बच्चों के हाथ में मोबाइल थमाना पड़ सकता है भारी! परेशान करती है ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग की रिपोर्ट, अब इस देश ने बच्चों के मोबाइल फोन देखने पर लगाया बैन

यूं तो आज के दौर में मोबाइल फोन का प्रचलन तेजी से बढ़ रहा है। परिवार में और कुछ हो ना हो, लेकिन छोटे से लेकर बड़े तक हर किसी के पास स्मार्टफोन जरूर मिल जायेगा। मोबाइल फोन से जहां तमाम सुविधाएं हमें मिलती हैं, वहीं इसके दुष्प्रभाव भी किसी से छिपे नहीं है। आज जहां कुछ लोग मोबाइल फोन और इंटरनेट का उपयोग अपना कैरियर बनाने के लिए कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग मोबाइल और इंटरनेट के चक्कर में खासा नुकसान झेलते हैं। बच्चों पर भी मोबाइल फोन का खासा असर देखने को मिल रहा है, इस दौरान उनके स्वास्थ्य पर भी इसका असर दिख रहा है।
इस बीच ग्लोबल एजुकेशन मॉनिटरिंग (जीईएम) रिपोर्ट में भी कहा गया है कि अगर आप मोबाइल फोन बच्चों के आसपास रखते हैं तो इससे उनका ध्यान भटकता है और इससे उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है। मामले की गंभीरता को देखते हुए अब स्वीडन सरकार ने दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए मोबाइल फोन और टीवी पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि 2 साल से ऊपर के बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की लिमिट सेट कर दी है।
दरअसल बच्चों के लिए मोबाइल फोन और टीवी का आकर्षण अब आम बात हो गई है। पेरेंट्स भी अपने काम के चक्कर में बच्चों को मोबाइल फोन देकर या टीवी के सामने बैठा देते हैं, लेकिन इसका बच्चों पर बहुत खराब असर पड़ता है। अत्यधिक स्क्रीन टाइम आंखों की रोशनी, नींद की समस्याओं और मोटापे का कारण बन सकता है। स्क्रीन के सामने अधिक समय बिताने से बच्चों के सोशल स्किल कमजोर हो सकते हैं।
सोशल मीडिया और विज्ञापनों के माध्यम से बच्चे अवास्तविक अपेक्षाएं पाल सकते हैं। इन सभी संभावनों को देखते हुए एक स्वीडन ने दो साल तक के बच्चों के लिए मोबाइल फोन और टीवी को पूरी तरह बैन कर दिया है। स्वीडन ने दो साल से कम उम्र के बच्चों के लिए स्क्रीन का इस्तेमाल करने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं दो से पांच वर्ष, छ से 12 वर्ष और उससे बड़े बच्चों के लिए स्क्रीन टाइम की लिमिट सेट की है।
सरकार की तरफ से परामर्श से साफ कहा गया है कि बच्चों को टीवी और मोबाइल फोन समेत किसी भी स्क्रीन के इस्तेमाल की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। इसके बाद अब बच्चे स्क्रीन का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। स्वीडन सरकार द्वारा जारी परामर्श के अनुसार, दो साल से कम उम्र के बच्चे को पूरी तरह मोबाइल फोन, टीवी या किसी अन्य स्क्रीन से दूर रखना चाहिए। 2 से 5 वर्ष वर्ष के बच्चों को 24 घंटे में ज्यादा से ज्यादा एक घंटा, जबकि 6 से 12 वर्ष के बच्चों को सिर्फ दो घंटे ही स्क्रीन का इस्तेमाल करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों को भी दिनभर में सिर्फ तीन घंटे ही स्क्रीन टाइम की परमिशन देनी चाहिए। स्वीडन सरकार का कहना है कि कई रिसर्च में पता चला है कि ज्यादा स्क्रीन टाइम की वजह से बच्चों और किशोरों में नींद की कमी और डिप्रेशन की शिकायत देखी जा रही है। डिप्रेशन बढ़ने से उनके स्वास्थ्य और फिजिकल फिटनेस पर भी बुरा असर पड़ता है, वो अपनी उम्र के हिसाब से कम एक्टिव हैं।