बड़ी खबरः यूपी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार! बुलडोजर एक्शन पर जताई नाराजगी, कहा- जिनके घर गिराए उन्हें 10-10 लाख का हर्जाना दो

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर कड़ी फटकार लगाई है। प्रयागराज में एक वकील, एक प्रोफेसर और तीन महिला याचिकाकर्ताओं के घरों को 2021 में बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि घर गिराने की प्रक्रिया असंवैधानिक थी। कोर्ट ने कहा कि घर ध्वस्त करने की ये मनमानी प्रक्रिया नागरिक अधिकारों का असंवेदनशील तरीके से हनन भी है। कोर्ट ने कहा कि यह हमारी अंतरात्मा को झकझोरता है और राइट टू शेल्टर नाम की भी कोई चीज होती है। इस सिलसिले में अदालत ने कहा कि नोटिस और अन्य समुचित प्रक्रिया नाम की भी कोई चीज होती है, जिसका पालन नहीं हुआ। कोर्ट ने प्रयागराज विकास प्राधिकरण को आदेश दिया है कि पांचों पीड़ितों को 10-10 लाख रुपये का हर्जाना दिया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिस तरह से तोड़फोड़ की गई, उस अमानवीय और गैरकानूनी कार्रवाई की वजह से मुआवजा लगाया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तोड़फोड़ की कार्रवाई पूरी तरह से अवैध थी और आश्रय के अधिकार का उल्लंघन है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह से तोड़फोड़ करना प्रयागराज विकास प्राधिकरण की असंवेदनशीलता दर्शाता है। इसी मामले में सुनवाई के दौरान जस्टिस उज्जल भुइयां ने यूपी के अंबेडकर नगर में 24 मार्च को हुई घटना का जिक्र करते हुए कहा कि अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक तरफ झोपड़ियों पर बुलडोजर चलाया जा रहा था तो दूसरी तरफ 8 साल की एक बच्ची अपनी किताबें लेकर भाग रही थी। इस तस्वीर ने सबको हैरान कर दिया, ये दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, जहां अवैध रूप से तोड़फोड़ की जा रही है और इसमें शामिल लोगों के पास निर्माण कार्य करने तक की क्षमता नहीं है। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि उनको एक्शन से पहले कोई नोटिस नहीं मिला। यहां तक कि नोटिस भेजने के 24 घंटे के भीतर ही बुलडोजर चला दिया गया। याचिकाकर्ताओं के मुताबिक साल 2021 में पहले एक मार्च को उन्हें नोटिस जारी किया गया था, उन्हें 6 मार्च को नोटिस मिला। फिर अगले ही दिन 7 मार्च को मकानों पर बुलडोजर एक्शन लिया गया।