उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला!गढ़वाल विश्वविद्यालय कर्मचारियों के नियमितीकरण और वरिष्ठता सूची पर आदेश
 
 उत्तराखंड हाईकोर्ट ने हेमवती नंदन गढ़वाल केंद्रीय विश्वविद्यालय में वर्षों से कार्यरत कर्मचारियों के नियमितीकरण के मुद्दे पर विश्वविद्यालय द्वारा दायर 36 विशेष अपीलों पर एकसाथ सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश जी. नरेंद्र और न्यायमूर्ति सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने सभी अपीलों का निपटारा करते हुए एकलपीठ के पूर्व आदेश में संशोधन किया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि कर्मचारियों को उनके कार्यरत विभाग में ही नियमित किया जाए। जिन कर्मचारियों के लिए विश्वविद्यालय में कोई पद सृजित नहीं है, उनके लिए नए पद बनाए जाएं, क्योंकि वे लंबे समय से सेवा दे रहे हैं। साथ ही, विश्वविद्यालय प्रशासन को आदेश दिया गया कि पूर्व में विज्ञप्ति के माध्यम से नियमित किए गए कर्मचारियों और नए नियमित होने वाले कर्मचारियों की संयुक्त वरिष्ठता सूची तैयार की जाए। यह सूची वरिष्ठता के आधार पर होगी, चाहे कर्मचारी कमीशन से आए हों या प्रमोशन से। कोर्ट ने यह भी कहा कि खाली पड़े पदों पर कार्यरत कर्मचारियों के लिए भी पद सृजित किए जाएं, ताकि उनका शोषण रोका जा सके।
इससे पहले एकलपीठ ने कर्मचारियों को वरिष्ठता के आधार पर नियमित करने का आदेश दिया था, लेकिन विश्वविद्यालय ने इसे लागू नहीं किया। इसके बजाय, नई भर्तियों के लिए विज्ञप्ति जारी कर नए कर्मचारियों को नियुक्त किया गया, जिससे पुराने कर्मचारी कनिष्ठ हो गए। इस अन्याय को देखते हुए हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया। कोर्ट ने विश्वविद्यालय को एक कमेटी गठित करने का निर्देश दिया, जो छह महीने के भीतर सभी कर्मचारियों के दस्तावेजों की जांच करेगी और उनकी वरिष्ठता सूची तैयार करेगी। यह सूची कर्मचारियों की सेवा शुरू होने की तारीख के आधार पर बनाई जाएगी, ताकि सभी को उनकी मेहनत और वरिष्ठता का उचित लाभ मिल सके।
 
  
   
  
  
  
  
  
  
  
  
  
  
  
  
  
 