सुप्रीम कोर्ट की बड़ी टिप्पणी! उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त, जानें पुलिस को क्यों लगाई फटकार?

Big comment by the Supreme Court! The rule of law in Uttar Pradesh has completely collapsed, know why the police was reprimanded?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दीवानी मामले को आपराधिक केस में बदलने की प्रवृत्ति पर यूपी पुलिस को कड़ी फटकार लगाते हुए सोमवार को टिप्पणी की, कि उत्तर प्रदेश में कानून का शासन पूरी तरह ध्वस्त हो गया है। कोर्ट ने कहा कि दीवानी मामले को आपराधिक मामले में तब्दील करना स्वीकार नहीं किया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) और जांच अधिकारी को हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा है कि दीवानी विवाद के मामले में आपराधिक केस क्यों शुरू किया गया? ये टिप्पणियां  सोमवार को प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना, संजय कुमार और केवी विश्वनाथन की तीन सदस्यीय पीठ ने देबू सिंह और दीपक सिंह की उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामला रद करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान कीं। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश में जो हो रहा है वह गलत है। रोजाना दीवानी विवादों को आपराधिक केस में तब्दील किया जाता है। ये पूरी तरह गलत है। सिर्फ पैसे न देने पर मामले को आपराधिक मामले में नहीं बदला जा सकता। ये गलत है।

चेक बाउंस का था मामला
याचिका के मुताबिक मूलतः यह मामला चेक बाउंस का था। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों के खिलाफ नोएडा के ट्रायल कोर्ट में लंबित आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है लेकिन स्पष्ट किया है कि उनके खिलाफ चेक बाउंस का मामला चलता रहेगा। दोनों अभियुक्तों के खिलाफ नोएडा के सेक्टर 39 थाने में आईपीसी की धारा 406 (आपराधिक विश्वासघात ), 506 (आपराधिक धमकी) और 120बी (आपराधिक साजिश) के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी। याचिका के मुताबिक दोनों के पिता ने शिकायतकर्ता से 25 लाख रुपये उधार लिये थे इसके बदले उसके पिता ने उन्हें 25 लाख का चेक भी जारी किया था। मामले के मुताबिक बाद में पैसे न लौटाने पर पुलिस ने शिकायत मिलने पर पिता के साथ साथ इन दोनों याचिकाकर्ताओं के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज कर लिया था, जिसे रद कराने की याचिका में मांग की गई है। हाई कोर्ट से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की है।