फैकल्टी की कमी से जूझ रहा है अल्मोड़ा मेडिकल कॉलेज! मरीज और स्टूडेंट्स परेशान,कई और सुविधाओं का भी अभाव
उत्तराखंड सूबे के अल्मोड़ा में कई सालों के संघर्षों के बाद मेडिकल कॉलेज खुल तो गया,लेकिन फैकल्टी की कमी से मरीज और स्टूडेंट्स परेशान हैं। हद तो तब हो गई कि स्टूडेट्स को प्रैक्टिकल करने के लिए बॉडी ही नहीं है। ऐसे में कैसे बेहतर डॉक्टर इस मेडिकल कॉलेज से निकलेगें। छात्र यहां किन परेशानियां में पढ़ाई कर रहे हैं और उनकी क्या-क्या मांगे हैं इसका सुध लेने वाला कोई नहीं है।
साल 2022 के जनवरी में पहले बैच की पढ़ाई के साथ ही कुमांऊ का पहला मेडिकल कॉलेज शुरु हो गया,लेकिन पिछले 3 सालों में न तो फैकल्टी पूरी हो पाई है और न ही डॉक्टर बन रहे स्टूडेट्स को बॉडी मिल पाई। अब कॉलेज के प्राचार्य हल्द्वानी और देहरादून के मेडिकल कॉलेज के प्राचार्यों को एक बॉडी देने के लिए पत्र लिखा है और लोगों से देह दान करने की अपील की है। इतना ही नहीं कॉलेज में में 90 स्वीकृत पदों के मुकाबले केवल 54 फैकल्टी ही सेवाएं दे रही हैं। कॉलेज के प्राचार्य, डॉ. सीपी भैसोड़ा ने बताया कि पिछले महीने 4 इंटरव्यू आयोजित किए गए थे और जल्द ही 4 नई फैकल्टी कॉलेज में शामिल होंगी, जिससे कुल संख्या बढ़कर 58 हो जाएगी। हालांकि, 90 पदों की तुलना में यह संख्या अभी भी कम है, जिससे कॉलेज के संचालन पर असर पड़ रहा है। फैकल्टी की इस कमी से मेडिकल छात्रों की पढ़ाई और शोध पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। कॉलेज प्रशासन उम्मीद कर रहा है कि जल्द ही शेष पदों को भी भरा जाएगा, ताकि छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा सके।
मेडिकल कॉलेज की बदहाली पर विपक्ष को भी चिकित्सा शिक्षा विभाग पर हमला करने का मौका मिल गया है। विधायक मनोज तिवारी ने कैबिनेट मंत्री धन सिंह पर हमला बोला और कहा कि चिकित्सा शिक्षा के साथ ही जिले के प्रभारी मंत्री होने के बाद भी व्यवस्था ठीक नहीं हो पा रही है तो अन्य जिलों का क्या हाल हो रहा होगा? अब देखना होगा कि देहरादून या हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज अल्मोड़ा कॉलेज को कोई बॉडी देंगे या फिर सिर्फ किताबों में पढ़कर स्टूडेंट्स डॉक्टर बन पाएंगे। लावारिस बॉडी को भी प्राचार्य ने डीएम से अंतिम संस्कार के बजाय कॉलेज को देने की मांग की है,जिससे बेहतर डॉक्टर इस कॉलेज से निकल पाएं।