महीनों बाद नींद से जागा रुद्रप्रयाग का प्रशासनिक तंत्र! सोशल मीडिया पर सवाल उठने के बाद अपडेट किया ‘फेसबुक’ पेज, जानें क्या है मामला?

Administrative system of Rudraprayag woke up from sleep after months! 'Facebook' page updated after questions were raised on social media, know what is the matter?

रुद्रप्रयाग। यूं तो सोशल मीडिया के दौर में छोटी से लेकर बड़ी तक हर खबर मिनटों में पता चल जाती है। आमजन से लेकर, जनहित और जनहित से लेकर सरकारी तंत्र तक छोटी से लेकर बड़ी से बड़ी जानकारी भी सोशल मीडिया पर उपलब्ध होती है। कुछ ऐसे मामले होते हैं, जिनपर हर किसी की दिलचस्पी होती है और लोग बेसब्री से मामले से जुड़े अपडेट का इंतजार करते हैं, लेकिन कभी-कभी सिस्टम की अनदेखी के चलते लोगों को अपडेट नहीं मिल पाते। कुछ ऐसा ही मामला विगत 20 नवंबर को केदारनाथ विधानसभा उपचुनाव में मतदान के दौरान देखने को मिला। जिसके बाद लोगों ने सोशल मीडिया पर अपनी भड़ास निकालते हुए जिला निर्वाचन अधिकारी रुद्रप्रयाग नाम से फेसबुक पर बने पेज को लेकर सवाल उठाए उठाए थे।

हांलाकि सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल होने के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली और अपने फेसबुक पेज से आपत्तिजनक फोटो हटवाकर उसे अपडेट कर दिया गया। लेकिन यहां सवाल ये उठता है कि क्या अप्रैल से प्रशासनिक तंत्र ने अपना फेसबुक पेज ही नहीं खोला था। आखिर किसने आपत्तिजनक फोटो पेज पर लगाई थी। फिलहाल जो भी हो, आखिरकार रुद्रप्रयाग प्रशासनिक तंत्र की नींद खुली और फेसबुक पेज अपडेट कर दिया गया है।


बता दें कि अभी हाल ही सोशल मीडिया पर इसको लेकर बहस छिड़ी थी और एक पोस्ट में लिखा गया था कि ‘किसी भी चुनाव या उपचुनाव में जिले के जिलाधिकारी ही जिला निर्वाचन अधिकारी होते हैं, ऐसे में उम्मीद की जाती है कि जिला निर्वाचन अधिकारी के नाम पर सोशल मीडिया एकाउंट या पेज बना होगा, तो वह दुरुस्त और अपडेट होगा। लेकिन डिस्ट्रिक इलेक्शन ऑफिसर रुद्रप्रयाग नाम से बने फेसबुक पेज पर जो फोटो लगी है, वो इस पेज के नाम और प्रकृति के हिसाब से विचित्र है। पूरे उपचुनाव के दौरान कोई अपडेट नहीं है। पोस्ट में आगे लिखा गया था कि 12 अप्रैल तक इस पेज पर निर्वाचन संबंधी गतिविधियां पोस्ट की गयी। उसके बाद यह पेज लावारिस छोड़ दिया गया। फिर 4 सितंबर को इस पेज पर कवर फोटो और प्रोफाइल फोटो के रूप में ऐसी तस्वीरें पोस्ट की गयी, जो इस पेज के हिसाब से अटपटी हैं।
इसी पोस्ट में आगे सुझाव देते हुए लिखा गया कि जिला प्रशासन रुद्रप्रयाग को चाहिए कि वो अपने सोशल मीडिया पेज या हैंडल्स को इस तरह लावारिस न छोडें। अगर यह पेज हैक हो गया है तो इसे वापस पाने के लिए कदम उठाएं। इसी के साथ उक्त पोस्ट में बीते दिनों सरकारी वेबसाइट हैक होने के मामले को भी उजागर करते हुए लिखा गया कि कुछ अरसा पहले उत्तराखण्ड सरकार की कई वेबसाइट हैक हो गयी थी। तब ऐसे लावारिस पेजों की चर्चा भी नहीं होती। पोस्ट में आगे लिखा गया कि ‘डिजिटल इंडिया का नारा देने वाली डबल इंजन सरकार की वेबसाइट और सोशल मीडिया पेज हैक है बाकी सब बेकायदा है, यही धाकड़, हैंडसम धामी भैय्या के राज का कायदा है’।


फिलहाल यही कहा जा सकता है कि मामला सुर्खियों में आने और सवाल उठने के बाद रुद्रप्रयाग प्रशासनिक तंत्र की नींद खुली है और फेसबुक पेज को दुरुस्त कर दिया गया है।