विश्व जल दिवस -जल है तो जीवन है

बिन पानी सब सून

आज अंर्तराष्ट्रीय जल दिवस है पानी के महत्व को समझते हुये जल दिवस मनाने का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1992 में अपने "ऐजेंडा 21"में रियो डी जेनेरियो में दिया था।और 22 मार्च 1993 में पहली बार अंर्तराष्ट्रीय जल दिवस मनाया गया।पूरे विश्व में स्वच्छ और सुनिश्चित पानी की व्यवस्था करवाना इस दिवस का मुख्य उद्देश्य है लेकिन आज भी कई जगह पानी के संकट से लोग जूझ रहे हैं यह पूरी दुनिया के लिये गम्भीर चिन्ता का विषय है आज भी पूरी दुनिया में लगभग 400 करोड़ लोगों को पीने के लिये साफ पानी नहीं मिल रहा है जिसमें 25% भारतीय ही है आपको जानकर हैरानी होगी कि तकरीबन देश का 40 फिसदी जल्द ही सूखे की चपेट में आने वाला है।


विश्व की बात करे तो 65 करोड़ लोग के पास पीने के लिये पानी ही नही है हर रोज करीब 900 लोग डायरिया की चपेट में आने से मौत के मुंह में चले जाते हैं यानी हर दो मिनट में एक मौत और ज्यादातर मरने वाले 5 साल की उम्र से कम के बच्चे हैं।सड़को पर या अपने घर के आंगन में अपनी बाइक और कार धोने मे जितना पानी लोग बरबाद कर देते है उतने पानी के लिये कई गांव की औरतें आज भी कई किमी पैदल चल कर भरी गरमी में लाईन में लगती हैं,दुनिया में औरतें और बच्चे सिर्फ पानी भरने के लिये 12.5 करोड़ घंटे खर्च कर देते हैं।


पिछले साल साउथ अफ्रिका की राजधानी केपटाउन को डे जीरो घोषित कर दिया गया था वहां पानी की इतनी ज्यादा किल्लत हो गयी थी कि लोगों को नहाने तक से मना कर दिया ये सब इसलिये क्योंकि करीब 40 लाख की आबादी वाले केपटाउन का पानी पूरी तरह से खत्म हो गया इसलिये केपटाउन को कुछ लोग डे जीरो कह रहे हैं डे जीरो यानी जिस दिन पानी मिलना बिल्कुल बंद हो जाये।पर्यटकों से भरे रहने वाले इस शहर में पानी की किल्लत इस कदर हो गई है कि चाहे बुजुर्ग हों या बच्चे, पानी लेने के लिए रात भर कतार में खड़े रहते हैं।पिछले चार साल से यहां बारिश नहीं हुई है। इसके चलते शहर के लगभग सारे जल स्त्रोत सूख चुके हैं। जो बचे हैं, उनसे बहुत ही सीमित मात्रा में पानी की आपूर्ति की जा रही है। सरकार ने जल वितरण के सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षाबलों को तैनात कर रखा है।प्रति व्यक्ति पानी के इस्तेमाल को लेकर समय-समय पर नियम जारी होते हैं। गत गुरुवार को जारी नियमों के अनुसार एक व्यक्ति सिर्फ 50 लीटर पानी का इस्तेमाल कर सकता है। जल संकट के चलते यहां का समाज गरीब और अमीर में बंट गया है। कुछ लोगों का आरोप है कि अमीर लोगों को पर्याप्त पानी दिया जा रहा है।भारतीय क्रिकेट टीम भी जब केपटाउन मैच खेलने गयी थी तब उन्हे पानी के लिये सख्त हिदायत दी गयी थी कि आप लोग नहायेंगे नही और पानी का कम से कम इस्तेमाल करेंगे।

विश्व जल दिवस की महत्ता को समझते हुये जम्मू कश्मीर राज्य के लद्दाख में बर्फ के स्तूप के जरिये लोगों में पानी के लिये जागरूकता पैदा की जा रही है वहां की कुछ जगह पर लोग मिलकर बर्फ के बड़े बड़े स्तूप तैयार कर रहे हैं ताकी पानी का संरक्षण हो सके।बेहतर और बड़े बर्फ के स्तूप तैयार करने की प्रतियोगिताओं का भी आयोजन लेह में होने जा रहा है।


ग्लोबल वाॅर्मिंग और बढ़ती जनसंख्या की वजह से आज हर जगह पानी का संकट गहराता जा रहा है ऊपर से पानी की बरबादी करने से भी लोग बाज नहीं आते।अगर एसा ही हाल रहा तो वो दिन दूर नही जब हम सब केपटाउन  जैसे दिन देखने को मजबूर हो जायेंगे।अगर पानी के इस संकट से बचना है तो पानी की कीमत को पहचानिये अपने साथ साथ अपने बच्चों को भी जागरूक करें कि जल है तो ही जीवन है।