महिलाओं के लिए खुशखबरी,बाज़ार में जल्द आ रहा है अब ऐसा पैड जिसे हर महिला चाहेगी खरीदना।

महिलाओं की महावारी जैसे ज्वलंत मुद्दे पर पैड मैन जैसी फ़िल्म बन चुकी है।जिस बारे में पर्दे के अंदर बात करने में भी शर्म महसूस होती थी उसी समस्या पर तमिलनाडु के रहने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम ने कम लागत वाले सेनेटरी पैड बनाने की मशीन का आविष्कार किया था,जिसके लिए उनको पद्मश्री अवॉर्ड से भी नवाजा गया था,मुरुगनाथंंम की रियल ज़िंदगी पर ही पैड मैन आधारित थी,इसके बाद पूरे देश मे पैड को लेकर जो शर्मिंदगी देखने को मिलती थी वो दूर होने लगी,लेकिन माहवारी की समस्या में महिलाओं को तब ज़्यादा दिक्कत होती है जब कहीं बाहर जाना हो और पैड को बदलने के लिए सुरक्षित जगह न मिल पाए,ऐसा अक्सर किसी लंबे सफर में जाते वक्त होता है।कम दामों में सैनेटरी पैड भले ही बाज़ारों में उपलब्ध होने लगे हैं,लेकिन लंबे समय तक चल सकने वाले और पैड को दोबारा इस्तेमाल करने वाले पैड अभी तक बाज़ारों की पहुँच से दूर हैं।पर बहुत जल्द ऐसे पैड आपको बाज़ारो में उपलब्ध होंगे जो121बार इस्तेमाल किये जा सकते हैं।

जी हाँ आईआईटी दिल्ली,के दो छात्र 21वर्षीय अर्चित अग्रवाल और हैरी सेहरावत ने अपने तकनीकी ज्ञान की प्रस्तुति देते हुए सांफे नामक स्टार्टअप शुरू किया,दिल्ली आईआईटी ने इसे प्रारंभिक सहयोग मुहैया कराया है,दोनों छात्र टेक्सटाइल विषय में चौथे वर्ष की पढ़ाई कर रहे हैं,विशेषज्ञ प्राध्यापकों के मार्गदर्शन में छात्रों ने केले के तने से विशेष फैब्रिक विकसित करने में सफलता पाई है,इससे बने सेनेटरी पैड को महिलाएं121बार इस्तेमाल कर सकेंगे।छात्रों ने बताया कि केले के तने का इस्तेमाल भारत में फिलहाल कहीं भी दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले पैड बनाने में नहीं किया जा रहा है,अफ्रीका में यह युक्ति सफल रही है,जहां दोबारा इस्तेमाल किए जा सकने वाले नैपकिन निशुल्क बांटे जाते हैं।खास बात यह है कि इस नैपकिन को आसानी से आठ घंटे इस्तेमाल के बाद सिर्फ ठंडे पानी में धोकर सुखा देना है,और डेढ़ घंटे बाद वह दोबारा इस्तेमाल योग्य हो जाएगा।दो साल में भी इसकी गुणवत्ता खराब नहीं होगी।अर्चित कहते हैं लगातार इस्तेमाल के बाद भी सेहत पर इसका कोई असर नहीं होगा,केले के तने में सोखने की क्षमता सर्वाधिक होती है,लेकिन दुर्भाग्य की बात यह है कि हमारे देश में केले के इस तने का इस्तेमाल न के बराबर ही होता है,इसे सिर्फ निर्यात कर दिया जाता है।उन्होंने आगे कहा कि हम केरल,महाराष्ट्र और तमिलनाडु के किसानों से केले का तना खरीद रहे हैं 200 से 300 रुपये किलो की कीमत पर,एक तना करीब 60 किलो का होता है और इसमें 10 हजार पैड बनाए जाते हैं।इस स्टार्टअप को प्रोत्साहित करने वाली कंपनी एचपीसीएल के चीफ जनरल मैनेजर ने कहा है यह महिलाओं के हाईजीन और उनके कल्याण के क्षेत्र में एक बेहद ही उत्कृष्ट और जिम्मेदार सहयोग है,वहीं पर्यावरण को शुद्ध बनाए रखने में इससे बेहतर क्या सहयोग हो सकता है।अर्चित ने बताया कि लांचिंग के पांच दिन के भीतर ही 5000 से अधिक पैड ऑनलाइन सेल हो गए हैं।गांवों तक इस उत्पाद को पहुंचाने के लिए कुछ एनजीओ और सरकार की तरफ से गांवों में हर माह कम दाम पर नैपकिन बांटने वाली संस्थाओं से बात की गई है।