नौकरीपेशा वर्ग को मोदी सरकार देने जा रही है नए साल का धमाकेदार तोहफा।

एक कर्मचारी ही पीएफ़ और ग्रेच्यूटी की एहमियत को समझ सकता है,क्योंकि किसी भी कर्मचारी की सैलरी से ही उसका पीएफ़ और ग्रेच्युटी के लिए एक अच्छी खासी रकम इक्कट्ठा हो जाती है।मोदी सरकार अब शीतकालीन सत्र में संशोधित बिल में ग्रेच्यूटी के नियमों में बदलाव करने जा रही है, जो कि किसी भी कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नए साल का तोहफ़ा हो सकता है।

सबसे पहले ये जान लेते हैं कि ग्रेच्यूटी है क्या,सीधी और सरल भाषा में ग्रेच्यूटी का मतलब आपके द्वारा किसी भी कंपनी को दी गयी सेवा के बदले में मिलने वाला अतिरिक्त लाभ होता है।और ये लाभ तभी मिलता है जब आप किसी कंपनी में कम से कम पांच साल तक काम करते हैं,इसके अलावा अगर किसी कर्मचारी की आकस्मिक मौत हो जाती है तब भी कर्मचारी के परिवार को ये लाभ दिया जाता है।ग्रेच्यूटी का लाभ कितना मिलना चाहिए ये निर्भर करता है दो बातों पर पहला ये कि कर्मचारी का वेतन कितना है और दूसरा ये कि कर्मचारी ने कंपनी ने कितने वर्ष काम किया है।

लेकिन मोदी सरकार अब काम झरने की अवधि को घटाने जा रही है,जिससे ग्रेच्यूटी का लाभ पाने के लिए पाँच सालो तक इंतेज़ार नही करना पड़ेगा।अगर संशोधित बिल में इसे पास कर दिया जाता है तो निश्चित रूप से नौकरीपेशा वर्ग को एक बढ़ा तोहफा मोदी सरकार से नए साल में मिल जाएगा।इस बिल के पास होने का सबसे बड़ा फायदा प्राइवेट नौकरी करने वालों को मिलेगा क्योंकि अगर वो एक साल में कंपनी छोड़ भी देते हैं तब भी उन्हें ग्रेच्यूटी की रकम तो मिलेगी ही।