डॉक्टरों की लापरवाही से शिशु की मौत परिजनों ने जमकर काटा हंगामा

कहते है कि माँ अपने पेट मे जब शिशु को 9 महीने रखती है तो उस दौरान होने वाली
तकलीफों का दर्द सिर्फ एक माँ ही महसूस कर सकती है, मगर 9 महीनों के दुख तकलीफ सहन करने के बाद
भी जब शिशु के मृत होने की खबर माँ सुनती है तो उस दर्द को सिर्फ एक माँ समझ सकती
है। यह हम इसलिए कह रहे है क्योंकि हरिद्वार की उपनगरी जवालापुर स्थित एक निजी
अस्पताल वैलनेस डाइग्नोस्टिक में डिलीवरी के दौरान डॉक्टरों की लापरवाही के कारण
नवजात शिशु की मृत्यु हो गई। इस वजह से अस्पताल में मृत शिशु के परिजनों ने
डिलीवरी के दौरान डॉक्टर्स पर लापरवाही बरतने और समय पर अस्पताल द्वारा सही डॉक्टर
की व्यवस्था ना करने जैसे कई आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा काटा।
परिजनों का यह भी आरोप है कि दोपहर 2 बजे महिला को अस्पताल में भर्ती करने
के बावजूद अगले दिन सुबह 4 बजे सृजन को बुलाया गया तब तक शिशु की
मृत्य हो चुकी थी इस मामले में अस्पताल प्रबंधन ने भी डिलिवरी के दौरान हुई
लापरवाही को स्वीकारा है।
आपको बता दे कि जवालापुर निवासी महिला का इलाज
जवालापुर स्थित सरकारी अस्पताल में चल रहा था कल महिला की हालत बिगड़ने पर सरकारी
अस्पताल से महिला को हायर सेंटर रेफर कर दिया गया था। इस दौरान परिजनों ने महिला
को पास ही स्थित वैलनेस डाइग्नोस्टिक अस्पताल में भर्ती कराया दिया। अस्पताल में
मौजूद बीएएमएस डॉक्टर द्वारा महिला का इलाज किया गया और इस दौरान डॉक्टर द्वारा
परिजनों को लगातार सांत्वना दी गई कि महिला की डिलीवरी नार्मल हो जाएगी मगर करीब 14 घंटे बीत जाने के बाद अस्पताल द्वारा
सर्जन को बुलाया गया। परिजनों का आरोप है कि तब तक शिशु की मौत हो चुकी थी। अस्पताल
में डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुई नवजात शिशु की मौत से नवजात शिशु के परिजनों
का रो रो कर बुरा हाल है।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर्स द्वारा उन्हें
सही समय पर सही जानकारी उपलब्ध नही कराई गई। अस्पताल में मौजूद बीएएमएस डॉक्टर
द्वारा 14 घंटो तक नार्मल डिलीवरी का आश्वासन दिया गया,
इतना
समय बीत जाने के बाद भी किसी सर्जन को मौके पर नही बुलाया गया। पहले तो जच्चा और
बच्चे दोनो के सुरक्षित होने का आश्वाशन डॉक्टर और स्टाफ द्वारा दिया गया 10 मिनट बाद ही हमे बताया गया कि शिशु की
मृत्यु हो गई है। अस्पताल में समय पर डॉक्टर्स उपलब्ध नही होते है। अस्पताल में
मौजूद नर्सो द्वारा मरीजो का इलाज किया जाता है। अस्पताल में मरीजो की जान के साथ
खिलवाड़ किया जा रहा है। इस मामले में अस्पताल के डॉक्टर्स की बड़ी लापरवाही है।
डिलीवरी से पहले ही बच्चा माँ के पेट मे मर गया था। अब हम प्रशासन और स्वास्थ्य
विभाग से अस्पताल पर कड़ी करवाई चाहते है।
वही अस्पताल में हुई नवजात शिशु की मौत के
मामले में अस्पताल प्रबंधन लापरवाही की बात स्वीकार कर रहा है। अस्पताल के मालिक
नमन सिंघल का कहना है कि यह मरीज कल हमारे यहां सरकारी अस्पताल से रेफेर होकर आए
थे हमारे द्वारा परिजनों को बताया गया थी कि नार्मल डिलीवरी कराई जाएगी अगर ज्यादा
खराब कंडीशन हुई तो सिजेरियन डिलीवरी कराई जाएगी। शिशु के परिजन बार बार नार्मल
डिलीवरी कराने के लिए कह रहे थे हमारे द्वारा इनको सही जानकारी उपलब्ध कराई गई और
आपरेशन के लिए कहा गया। हमने तुरंत सीनियर सर्जन को बुला कर आपरेशन कराया गया मगर
शिशु मृत हो चुका था। पहले महिला का इलाज एक अस्पताल की बीएएमएस डॉक्टर द्वारा
किया जा रहा था, दोनो तरफ से ही लापरवाही है। अस्पताल की तरफ से
भी लापरवाही बरती गई और मरीज़ के परिजनों द्वारा भी लापरवाही की गई है।
वैलनेस डाइग्नोस्टिक निजी अस्पताल में हुई नवजात शिशु की मौत अस्पताल
प्रबंधन और डॉक्टर्स की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान लगा रही है। अस्पताल के
मालिक भी इस मामले में लापरवाही की बात स्वीकार कर रहे है। ऐसे में जाहिर है कि
अस्पताल में भर्ती अन्य मरीजो की जान के साथ भी अस्पताल में लापरवाही के कारण
खिलवाड़ हो सकता है। इस घटना के बाद स्वास्थ्य विभाग को इस निजी अस्पताल के खिलाफ
कड़ी करवाई कर नज़ीर पेश करने की जरूरत है ताकि इस तरह की घटनाओं की पुरनावृत्ति ना
हो सके।