गड़बड़झाला पार्ट 3 - त्रिवेंद्र सरकार के जीरों टॉलरेंस के दावे पर भाजपाई ही लगा रहे है पलीता मिटटी घोटाले में भाजपा पार्षद का नाम जुड़ने से जांच पड़ी धीमी

उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय के महानगर रुद्रपुर नगर निगम में लाखों रूपये की मिटटी घोटाले में ठेकेदार के बाद स्थानीय भाजपा पार्षद का नाम जुड़ने से मामले की जाँच धीमी पड़ गयी है। ऐसे में, राज्य में त्रिवेंद्र सरकार के जीरो टॉलरेंस के दावे पर पलीता लगता हुआ नज़र आ रहा है। गौरतलब है कि महानगर रुद्रपुर के नगर निगम के वार्ड न. 22 में लाखों की लागत से बन रहे नाले की खुदाई में निकली मिटटी चोरी से बेचे जाने का मामला प्रकाश में आया था, इस मामले में स्थानीय लोगों में नगर निगम के तत्कालीन MNA जयभारत सिंह से शिकायत कर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की थी, शिकायत मिलने पर तत्कालीन नगर आयुक्त जयभारत सिंह ने सहायक अभियंता गजेंद्र पल को जाँच सौपी थी, जाँच मिलने पर सहायक अभियंता ने पहले दिन ही मौके पर पहुँचकर निरिक्षण कर मिटटी चोरी की शिकायत को सही पाया था और मौके से नाली से निकली मिटटी कार्यस्थल से गायब थी। इधर मामले में लापरवाह ठेकेदार के बाद स्थानीय भाजपा पार्षद का नाम जुड़ गया। स्थानीय लोगों ने पार्षद पर ठेकदार द्वारा कमीशन ना देने पर मिटटी चोरी कर पेयजल विभाग को बेचने का आरोप लगाया था। जिसके बाद पेयजल विभाग ने मिटटी खरीदने के बाद भुगतान भाजपा पार्षद के भाई के खाते में किया था। 


मामले में तूल पकड़ने के साथ जैसे ही भाजपा पार्षद के पति का नाम जुड़ा तो जाँच कार्यवाही धीमी पड़ गयी। सूत्रों और स्थानीय लोगों की माने तो भाजपा नगर अध्यक्ष ने मामले में हस्तक्षेप करते हुए जाँच कार्यवाही पर प्रभाव डालने का काम किया। स्थानीय लोगों का आरोप है कि भाजपा नगर अध्यक्ष ने मामले में विरोध व शिकायत करने वाले लोगों को बहला फुसला कर मामले को आपस में सुलझाने की पूरी कोशिश की। ऐसे में लोगों के आरोप की माने तो उत्तराखंड में त्रिवेंद्र सरकार के जीरों टॉलरेंस के दावों पर मिटटी फेरने का काम नज़र आ रहा है। वहीँ इस पूरे मामले में हमरे संवाददाता सिलसिले वार तरीके से इस प्रकरण में जुड़े लोगों से उनका पक्ष जानना चाहा तो पहले पार्षद पति ने उन्हें इस प्रकरण में झूठा फ़साने की बात कहकर मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया। इसके बाद ठेकेदार से इस प्रकरण में जानकारी चाही तो ठेकेदार ने कहा कि नाली की खुदाई से मिटटी तो निकली थी और मौके पर मिटटी मौजूद भी थी, लेकिन बरसात के कारण एक दिन कार्य स्थल पर नहीं पहुंच पाया, दूसरे दिन जब पहुंचा तो मिटटी मौके से गायब थी। वहीँ जाँच अधिकारी से बात करने पर अधिक व्यस्तता के चलते जाँच रिपोर्ट ना बनाने की बात सामने आयी। ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि लाखों की मिटटी चोरी से पर्दा उठ पायेगा। इस मामले में दोषियों के खिलाफ कब कार्यवाही होगी या कार्यवाही होगी भी या नहीं यह कहना कठिन है।