खुशियों की सवारी संचालन में स्वास्थ्य विभाग नाकाम

जज्चा बच्चा को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी उठाने वाली योजना खुशियों की सवारी की जिम्मेदारी उठाने में स्वास्थ्य विभाग के हाथ पैर फूल गये हैं, जिससे  योजना पर ब्रेक लग गया है, और अब फिर एक बार इस योजना को पीपीपी मोड़ में देने की तैयारी है, इसके लिए टैंडर प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है|108 सेवा के साथ ही सूबे में खुशियों की सवारी का भी संचालन होता रहा है, इन वाहनों का काम प्रसव बाद जच्चा बच्चा को सुरक्षित घर पहुंचाना है|108 सेवा की तरह यह सेवा भी सूबे में खूब प्रचलित हुई, लेकिन इस साल जीवीके ईएमआरआई कंपनी का अनुबंध समाप्त होने के साथ ही इन वाहनों का संचालन ठप पड़ गया है| दरअसल 108 का टेंडर तो कैंप कंपनी को दे दिया गया लेकिन खुशियों की सवारी के संचालन का जिम्मा स्वास्थ्य विभाग ने अपने पास रखा और इसके संचालन की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्साधिकारियों को दे दी गई, लेकिन अब संचालन में आ रही दिक्कतों के चलते अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं, इसके चलते तमाम वाहन जिला मुख्यालयों पर ही खड़े हैं|अधिकारियों ने शासन से इसे लेकर दिशा-निर्देश भी मांगे लेकिन शासन ने भी स्थिति स्पष्ट नहीं की| राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के निदेशक के मुताबिक तमाम दिक्कतों को देखते हुए विभाग ने खुशियों की सवारी के लिए टेंडर कराने का निर्णय किया है| इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है| वर्तमान में पूरे प्रदेश में 97 खुशियों की सवारी संचालित की जा रही हैं|