विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवसः मीडिया की आज़ादी को कृत्रिम बुद्धिमत्ता की चुनौती! जानें क्या है 2025 की थीम? और क्या है इसका उद्देश्य

World Press Freedom Day: Artificial Intelligence challenges media freedom! Know what is the theme of 2025? And what is its objective

आज 3 मई को दुनियाभर में ‘विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस’ मनाया जा रहा है। यह दिन प्रेस की स्वतंत्रता, सच्चाई और ईमानदारी के लिए समर्पित होता है। 1993 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 3 मई को प्रेस स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का प्रस्ताव पारित किया, जो संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) की सिफारिश पर आधारित था। बता दें कि यूनेस्को द्वारा वर्ष 2025 के लिए विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम ‘रिपोर्टिंग इन द ब्रेव न्यू वर्ल्ड-द इम्पैक्ट ऑफ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ऑन प्रेस फ्रीडम एंड द मीडिया’ घोषित की गई है। इस थीम का उद्देश्य आधुनिक पत्रकारिता में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के बढ़ते प्रभाव पर प्रकाश डालना है। आज के दौर में पत्रकारिता तकनीक, विशेषकर एआई से तेजी से बदल रही है। जहां एआई से रिपोर्टिंग, फैक्ट-चेकिंग और भाषा अनुवाद में मदद मिल रही है, वहीं यह झूठी खबरें, डीपफेक वीडियो, निगरानी और मीडिया उद्योग में असमानता जैसे गंभीर मुद्दों को भी जन्म दे रही है। इसलिए 2025 की थीम पर जोर दिया जा रहा है कि कैसे हम एआई को एक उपयोगी उपकरण बनाएं, न कि स्वतंत्रत पत्रकारिता के लिए खतरा। 

बता दें कि किसी भी देश अथवा समाज में स्वतंत्र मीडिया के बिना स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं हो सकता, क्योंकि मीडिया वास्तव में लोकतंत्र का प्रहरी होता है। लोकतंत्र का ही क्यों, मीडिया राष्ट्र, मानवीय सभ्यता और संस्कृति, यहां तक की मानवता का भी रक्षक होता है। आश्चर्य नहीं कि समय-समय पर भारत एवं दुनिया भर में मीडिया ने अपनी भागीदारी एवं भूमिकाओं से इसे सही साबित भी किया है। यही कारण है कि मीडिया को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है। समय बीतने के साथ-साथ मीडिया ने अपने पिछले अनुभवों के आधार पर अपनी भागीदारी एवं भूमिकाओं में अपेक्षित परिवर्तनों के साथ विस्तार दिया है। 

देखा जाए तो भारत में प्रेस की स्वतंत्रता का एक समृद्ध इतिहास है। हालांकि हाल के वर्षों में पत्रकारों को डराने-धमकाने और गिरफ्तार करने की घटनाए बढ़ी हैं। भारत में प्रेस की स्वतंत्रता की रैंकिंग भी पिछले कुछ वर्षों में गिरी है। भारत में पत्रकारों को काम करते समय कई शारीरिक खतरों और सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ता है। संवेदनशील मुद्दों पर रिपोर्टिंग करना, भ्रष्टाचार को उजागर करना और सत्ता में बैठे लोगों से निडर होकर सवाल करना उन्हें धमकियों, हिंसा या उत्पीड़न के खतरे में डाल सकता है। निर्भीक पत्रकारिता करने वालों को समय-समय पर धमकियां मिलती रहती हैं। ये धमकियां राजनीति से अधिक प्रेरित हैं और तथाकथित माफियाओं से आती हैं। पत्रकारों को कभी-कभी अपनी रिपोर्टिंग को विशिष्ट एजेंडे के साथ जोड़ने के दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे निष्पक्ष और वस्तुनिष्ठ कवरेज प्रदान करने की उनकी क्षमता प्रभावित होती हैं। आज पत्रकारिता की अखंडता बनाए रखने और जीवंत लोकतंत्र बनाए रखने के लिए पत्रकारों की सुरक्षा सुनिश्चित करना बेहद महत्वपूर्ण हो गया है। ऐसे में तमाम संगठनों द्वारा इस दिशा में काम किया जा रहा है और यही वजह है कि विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस की थीम हर साल बदलती रहती है। इस बार विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस 2024 की थीम ‘ए प्रेस फॉर द प्लैनेटः जर्नलिज्म इन द फेस ऑफ द एनवायर्नमेंटल क्राइसिस’ है।