क्या छिपाया गया अदालत से? हरिद्वार की विवादित जमीन पर हाईकोर्ट ने एकलपीठ के आदेश रोककर माप-जोख पर लगाई अस्थायी रोक
नैनीताल।
उत्तराखंड हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति रवीन्द्र मैठाणी और न्यायमूर्ति आलोक महरा की खंडपीठ ने सोमवार को कैलामाता एवं अन्य बनाम जिला मजिस्ट्रेट हरिद्वार मामले में महत्वपूर्ण हस्तक्षेप करते हुए विवादित भूमि की नाप-जोख से जुड़े आदेशों पर अंतरिम रोक लगा दी है। ये आदेश एकलपीठ द्वारा 17 सितंबर 2024 और 13 अगस्त 2025 को पारित किए गए थे, जिन्हें अपीलकर्ता अब्दुल गफ्फार ने विशेष अपील के माध्यम से चुनौती दी थी।
क्या है विवाद?
पहली याचिका में हरिद्वार जिले की तहसील रुड़की के गांव किशनपुर जमालपुर स्थित खसरा नंबर 511 (कुल क्षेत्रफल 1.1259 हेक्टेयर) की माप-जोख का निर्देश दिया गया था। अपीलकर्ता अब्दुल गफ्फार का कहना है कि यह आदेश कई महत्वपूर्ण कानूनी तथ्यों को छिपाकर प्राप्त किया गया। उनका तर्क था कि सहकारी और पुनरीक्षण न्यायालयों में पहले से लंबित कार्यवाही का उल्लेख किए बिना माप-जोख का आदेश हासिल किया गया, जो प्रक्रिया के मूल सिद्धांतों के विरुद्ध है।
खंडपीठ ने माना कि प्रारंभिक याचिका दायर करते समय लंबित चकबंदी विवाद का उल्लेख न करना,और समान विषय पर दायर दूसरी याचिका की जानकारी छिपाना,दोनों अत्यंत महत्वपूर्ण तथ्य हैं, जिन पर विस्तृत न्यायिक समीक्षा आवश्यक है। न्यायालय ने कहा कि इस मामले में गंभीर प्रश्न उठते हैं, जिन पर आगे विस्तृत सुनवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट ने इस प्रकरण को 16 मार्च 2026 के लिए सूचीबद्ध करते हुए स्पष्ट किया कि तब तक एकलपीठ द्वारा पारित दोनों आदेशों की प्रभावशीलता अस्थायी रूप से निलंबित रहेगी। साथ ही, अपील दायर करने की अनुमति से जुड़े आवेदन और स्थगन प्रार्थना पत्र का निस्तारण भी कर दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई में न्यायालय तथ्यों की गहन जांच और संबंधित दस्तावेजों की विस्तृत समीक्षा करेगा।