ये कैसी लापरवाहीः पांचवी की पुस्तक में कवि वृंद के ‘दोहे’ को ‘रहीम’ का ‘दोहा’ बताया! शिक्षा विभाग पर उठे सवाल, जानें क्या है पूरा मामला?
किताबों का हमारे जीवन में कितना महत्व होता है, ये हर कोई भली भांति जानता है। किताबें ही हैं जो हमें जिंदगी में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते है और हमारा भविष्य बनाने में किताबों का अहम रोल होता है, लेकिन जब किताब लिखने वाले ही लापरवाही करने लग जाएं तो बच्चों का भविष्य कैसा होगा इसका अंदाजा लगाना कोई बड़ी बात नहीं। जी हां, एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे सुनकर आप भी दंग रह जायेंगे। दरअसल सीबीएसई बोर्ड के कक्षा पांचवी के पाठ्यक्रम में शामिल ‘निहारिका’ नाम की हिन्दी पुस्तक में लेखकों द्वारा बड़ी लापरवाही बरती गयी है। खबरों के मुताबिक इस पुस्तक को पीएचडी धारक दो महिलाओं ने तैयार किया है। इस किताब का मूल्य 395 रुपए है, जिसे बच्चे पढ़ते हैं। किताब का प्रकाशक ज़ूम पब्लिशर्स प्रा.लि. दिल्ली है।
इस किताब के 106 वें पेज पर रहीम के दोहे शीर्षक से 5 दोहे रहीम के नाम से प्रकाशित हैं, जिसमें एक दोहा करत-करत अभ्यास के... भी लिखा गया है। लेकिन हैरानी की बात ये है कि इस दोहे के रचयिता रहीम हैं ही नहीं। यह रीतिकालीन परंपरा प्रसिद्ध दोहाकार वृंद कवि की पुस्तक वृंद सतसई का दोहा है। जिसे उक्त महिलाओं ने रहीम के नाम कर दिया। हैरानी वाली बात ये भी है कि जिस बोर्ड ने इस किताब को पाठ्यक्रम के लिए स्वीकृत किया उन्हें भी इसका ज्ञान नहीं है। शिक्षा विभाग की इस लापरवाही से लोगों में खासा आक्रोश देखने को मिल रहा है और सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लोग शिक्षा विभाग को कोस रहे हैं। फिलहाल ये गलती से हुआ या फिर अज्ञानतावश, जो भी हो इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं।