उत्तराखंड:नैनीताल में चप्पे चप्पे पर अगर मोस्ट वांटेड प्रकाश पांडे का पोस्टर इस शख्स ने न देखा होता तो शायद मुंबई के अंडरवर्ल्ड डॉन बंटी पांडे का भी खुलासा न हुआ होता!जानिए प्रकाश पांडे उर्फ पीपी उर्फ बंटी पांडे की रानीखेत से मुंबई अंडरवर्ल्ड की कहानी

नैनीताल की प्रसिद्ध मॉल रोड में अगर उस दिन मोस्ट वांटेड अपराधी प्रकाश पांडे का पोस्टर चस्पा न हुआ होता तो शायद कुछ राज से पर्दा भी न उठता।
बढ़िया सा सूट बूट पहने एक आदमी नैनीताल की मॉल रोड में चस्पा किये गए पोस्टर को टकटकी लगाए निहार रहा था। काफी देर तक मोस्ट वांटेड अपराधी प्रकाश पांडे के पोस्टर को देखने के बाद वो आदमी वहाँ से तेज़ कदमो के साथ मल्लीताल की ओर बढ़ने लगता है जैसे मानो उसने कोई भूत देख लिया हो। कदम और तेज़ होते चले गए,मल्लीताल पहुंचकर उसने कोतवाली की तरफ रुख किया। और वहां पहुंचते ही उसने सवाल किया"मॉल रोड और पूरे शहर में जिस कुख्यात अपराधी का पोस्टर लगा है उसका नाम क्या है?"
थाने से जवाब मिला"प्रकाश पांडे" ये हल्द्वानी का एक कुख्यात बदमाश है जो इनदिनों शराब के अवैध धंधे और गुंडागर्दी में लिप्त है। कुछ दिन पहले इसने रमेश बम्बइया नाम के एक बड़े गैंगस्टर पर भी गोलियां चलाईं थी।"
ये सब सुनकर वो सूट बूट पहना आदमी हैरान हो गया और फिर कुछ देर सोचने के बाद मुस्कुरा कर बोला"ये कुख्यात प्रकाश पांडे नही बल्कि बॉम्बे अंडरवर्ल्ड का डॉन और छोटा राजन का राइट हैंड बंटी पांडे है"।
ये सुनकर मल्लीताल थाने में मौजूद हर कोई सन्न रह गया। आखिर ये नई बला क्या है?ऐसा कैसे हो सकता कि ये बदमाश प्रकाश पांडे नही बँटी पांडे है? और ये आदमी कौन है भला जो इतने यकीन से ये बात कह रहा है?
दरअसल वो सूट बूट वाला आदमी मुंबई क्राइम ब्रांच का एनकाउंटर स्पेशलिस्ट था जो अपने परिवार के साथ नैनीताल छुट्टियां बिताने आया था। मॉल रोड में चहलकदमी करते हुए जब उसने बंटी पांडे का पोस्टर देखा तो सोच में पड़ गया कि मुंबई के डॉन को भला नैनीताल पुलिस क्यों खोज रही है? बंटी का नैनीताल से क्या कनेक्शन हो सकता है? बंटी मुंबई की ऑर्थर जेल से फरार था,यहां उसके पोस्टर लगे थे। कहीं ऐसा तो नही कि प्रकाश पांडे और बंटी पांडे एक ही आदमी हो। जी हां! यही सच था,प्रकाश पांडे उर्फ पीपी उर्फ बंटी पांडे ये तीनो एक ही बदमाश थे जिसे दो राज्यो की पुलिस अपने अपने राज्यो में तलाश रही थी।
ये बात उन दिनों की है जब उत्तरप्रदेश और उत्तराखंड एक ही हुआ करते थे। प्रकाश पांडे न तो उत्तरप्रदेश में था न तो महाराष्ट्र में। दोनों राज्यो की पुलिस उसकी तलाश में दिन रात एक किये हुए थी। और वो खुद दोनों राज्यो की पुलिस को चकमा देकर कहीं दूर वियतनाम में अपनी गर्लफ्रैंड के साथ मौजमस्ती कर रहा था।
अब आप सोच रहे होंगे कि अगर प्रकाश पांडे ही बंटी पांडे था तो वो असल मे मूलनिवासी कहाँ का था?
दरअसल प्रकाश पांडे उत्तराखंड के रानीखेत में स्थित खनौइया गांव का था। प्रकाश के पिता फौजी थे,और मां गृहणी। मां की मौत के बाद प्रकाश के पिता ने दूसरी शादी कर ली थी। सौतेली माँ की वजह से प्रकाश और उसके पिता लक्ष्मी दत्त पांडे के बीच अनबन रहने लगी। स्कूली दिनों में प्रकाश ने एक बार अपनी क्लास से दो क्लास बड़े बच्चे की खूब पिटाई लगा दी। इसके बाद कुछ शरारती स्टूडेंट्स ने उसका साथ पकड़ लिया। कुछ समय बाद उसने छोटे बदमाशों के साथ मिलकर अपनी एक गैंग बना ली। और हर जगह दादागिरी शुरू कर दी। धीरेधीरे प्रकाश ने अवैध शराब और लीसा रानीखेत, नैनीताल, हल्द्वानी, अल्मोड़ा मे बेचना शुरू कर दिया। इतना ही नही ब्लैकमेलिंग ब्लैकमार्केटिंग वगेरह भी शुरू कर दी। अब चूंकि इन कामो से खूब मोटी कमाई होने लगी तो प्रकाश को इन कामो की जैसे लत ही लग गई। उसने मुंबई का डॉन बनने का निर्णय लिया और नब्बे के दशक में वो मुंबई निकल गया।
मुंबई शहर जो उन दिनों हिन्दू मुस्लिम की आग में जल रहा था जगह जगह धार्मिक नफरतों के चलते बम धमाकों से शहर दहल जाता। ये माहौल प्रकाश पांडे के डॉन बनने के लिए आसान था।
बाबरी मस्जिद विध्वंस की आग में न सिर्फ उत्तरप्रदेश बल्कि मुंबई भी जल रहा था। जगह जगह बम धमाकों से लोग मर रहे थे।इन बम धमाकों के लिए अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम को ज़िम्मेदार माना गया। दाऊद इब्राहिम का दायां हाथ छोटा राजन था। जिसने बाद में दाऊद इब्राहिम से अलग होकर अपना अलग गैंग बना लिया था।
एक दिन रानीखेत का ये छोटा बदमाश मुंबई के बॉम्बे सेंट्रल रेलवे स्टेशन पहुंचा था कि उसकी मुलाकात गैंगस्टर पुनीत तानाशाह और विक्की मल्होत्रा से हुई इन्हीं दोनों ने प्रकाश की मुलाकात छोटा राजन से करवाई थी। छोटा राजन हवा में गैंगस्टर नही बनाता था। इसके लिए वो इंसानों की बलि देने वाले को परखता था यानी अगर छोटा राजन के गैंग का हिस्सा बनना था तो मर्डर करना ज़रूरी था। छोटा राजन ने प्रकाश पांडे में कितना दमखम है देखने के लिए एक कॉन्ट्रेक्ट किलिंग का ठेका दिया। ये कॉन्ट्रैक्ट छोटे मोटे आदमी को मारने का नही था बल्कि राजनीति के दिग्गज एक नेता को मारने का था,प्रकाश पांडे को तो मुंबई का डॉन बनना था सो उसने उस नेता के सुरक्षा घेरे को तोड़कर उसके माथे के बीचोबीच 9 एमएम की पिस्टल से गोली मार दी। दिन दहाड़े हुई इस हत्या से महाराष्ट्र सरकार भी हिल गयी उधर छोटा राजन प्रकाश का ये दुस्साहस देखकर दंग रह गया क्योंकि उसे तो ऐसे बदमाशों की ज़रूरत थी। जल्द ही प्रकाश पांडे छोटा राजन के गैंग में उसका सबसे नजदीकी बन गया। धीरेधीरे प्रकाश पांडे का नाम बंटी पांडे कर दिया गया,जिसे उत्तरप्रदेश में लोग प्रकाश पांडे उर्फ पीपी पुकार रहे थे वो मुंबई में अब बंटी पांडे नाम से कुख्यात हो चुका था।
मुंबई बम धमाकों के बाद दाऊद इब्राहिम और छोटा राजन जो कभी दोस्त हुआ करते थे में कोल्ड वॉर छिड़ चुकी थी। दाऊद इब्राहिम छोटा शकील को धंधे संभालने की ज़िम्मेदारी देकर पाकिस्तान में जा छुपा था तो इधर छोटा राजन बंटी पांडे,विक्की मल्होत्रा और पुनीत तानाशाह के साथ मिलकर गैंग चलाने लगा।
अब छोटा राजन चाहता था कि मुंबई से दाऊद का सूपड़ा ही साफ हो जाये और उसकी गैंग मुंबई में अपना खौफ पैदा कर राज कर सके।छोटा राजन ने तीनो साथियों के साथ मिलकर दाऊद इब्राहिम की हत्या का प्लान भी बनाया था। लेकिन पाकिस्तान कौन जाए, चला भी जाए तो हत्या कैसे हो,और हत्या हो जाये तो वहाँ से जिंदा लौट आना मुमकिन नही। इसी उलझन में छोटा राजन था। बंटी उर्फ प्रकाश ने छोटा राजन को कहा कि मैं जाऊंगा और प्लान को मैं ही लीड करूंगा।
रिपोर्ट की माने तो साल 1998 में बंटी पुनीत और विक्की किसी तरह पाकिस्तान पहुंचे जहां छोटा राजन के गुर्गों ने उन्हें हथियार उपलब्ध करवाए,और इनपुट दिया कि दाऊद के घर से कुछ दूरी पर ही एक मस्जिद में दाऊद नमाज पढ़ने जाता है। ये जानकारी मिलने के बाद तीनों ने सऊदी सिटीजन का लुक अपनाया और मस्जिद के आसपास घात लगाकर बैठ गए। लेकिन दाऊद छोटा राजन के साथ काम कर चुका था और उसे उसकी हरकतों के बारे में पता था इसीलिए इस प्लान की भनक भी दाऊद को लग गयी और वो मस्जिद गया ही नही।
ये प्लान फेल हो गया तो साल 2000 में राजन गैंग ने फिर प्लान बनाया दाऊद की बेटी मारिया के इंतेक़ाल पर।लेकिन ये प्लान भी फेल हुआ। इस बार दाऊद ने गुस्से में आकर उल्टा छोटा राजन पर ही गोलियां चलवा दी। इस गोलीबारी में राजन गैंग का रोहितवर्मा मारा गया।
इस गोलीबारी के बाद ही गैंगवार शुरू हो गयी। कई गैंगस्टर मारे गए,सिर्फ भारत पाकिस्तान ही नही बल्कि इसका असर नेपाल,मलेशिया, बैंकॉक, कीनिया सहित कई देशों में सक्रिय गैंग पर हुआ।
छोटा राजन पर गोलियां लगने के बाद बंटी को मौका मिल गया कि मुंबई का डॉन वो बन सके। कुछ समय बाद बंटी पांडे ने भी अपनी अलग गैंग बना ली,2007 में उसने शाहरुख खान की फ़िल्म ओम शांति ओम की अपार सफलता के बाद हुई करोड़ो की कमाई में रंगदारी की मांग की। इस घटना के बाद ही बंटी पांडे बॉलीवुड में भी चर्चित हो गया।
मुंबई में बंटी पांडे ने जब शिव सागर रेस्टोरेंट के मालिक से रंगदारी की मांग की और दहशत फैलाने के लिए उसने शिव सागर रेस्टोरेंट की एक चेन चलाने वाले एक व्यापारी की हत्या कर दी तब बंटी पांडे का खौफ मुंबई में लोगो को डराने लगा।
अब प्रकाश पांडे उत्तराखंड और महाराष्ट्र दोनों ही जगहों पर अपनी दहशत फैलाने में कोई कमी नही छोड़ रहा था। उसने क्राइम ब्रांच के एसपी राजबीर सिंह की दिन दहाड़े हत्या कर दी,जिससे दिल्ली में भी उसका खौफ पैदा होने लगा।
बंटी पांडे उर्फ प्रकाश पांडे उर्फ पीपी अब कई राज्यो की रडार पर आ चुका था। जब एक साथ कई राज्यो की पुलिस की आंखों में वो चढ़ गया तो अचानक उसके गायब होने की खबर सामने आई। अब पुलिस और बंटी के बीच चूहे बिल्ली का खेल चलने चला।
महाराष्ट्र में पुलिस बंटी पांडे के पोस्टर चस्पा कर तलाश रही थी,इधर उत्तराखंड के नैनीताल में जगह जगह मोस्ट वांटेड प्रकाश पांडे के पोस्टर लगे थे।
गायब होने के बाद बंटी वियतनाम में है इसकी सूचना वायरल होने लगी। कई लोग ये भी कहते देखे गए कि अब प्रकाश पांडे सुधर गया है उसने मसालों का नया बिजनेस शुरू किया है। उसने अब इज्जत से रोटी खानी शुरू कर दी है। लेकिन ये भी आधा सच ही निकला क्योंकि वो काली कमाई को सफेद करने की कोशिश कर रहा था। मसाले तो बस बहाना था खुद को सही साबित करने का उसका सारा खेल तो मुंबई अंडरवर्ल्ड में ही चल रहा था।
एक दिन मुंबई क्राइम ब्रांच ने उसकी कॉल ट्रेस कर ली और साल 2010 में उसे वियतनाम से धर दबोच लायी।
बंटी पांडे उर्फ पीपी उर्फ प्रकाश पांडे को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। उत्तराखंड के सुद्धोवाला की जेल में रहा पीपी का अब सितारगंज की जेल ही ठिकाना है