नैनीतालः 50 करोड़ से अधिक जुर्माने को माफ करने का मामला! जनहित याचिका पर हुई सुनवाई, जानें हाईकोर्ट ने क्या कहा?

नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने नैनीताल के पूर्व जिलाधिकारी द्वारा अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन एवं भंडारण पर लगाये गए करीब 50 करोड़ से अधिक जुर्माने को माफ कर देने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की खण्डपीठ ने सचिव खनन उत्तराखण्ड सरकार से उसे नियम एक्ट के तहत तत्कालीन जिला अधिकारी ने जुर्माना माफ किया है की प्रति
2 सप्ताह के भीतर कोर्ट को अवगत कराने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई की तिथि 2 सप्ताह के बाद की नियत की गई है। बता दें कि समाजिक कार्यकर्ता चोरलगिया नैनीताल निवासी भुवन पोखरिया ने जनहित याचिका दायर कर कहा है कि वर्ष 2016-17 में नैनीताल के तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा कई स्टोन क्रेशरों का अवैध खनन व भंडारण का जुर्माना करीब 50 करोड़ से अधिक रुपया माफ कर दिया। जिला अधिकारी ने उन्ही स्टोन क्रेशरों का जुर्माना माफ किया जिनपर जुर्माना करोड़ों में था और जिनका जुर्माना कम था उनका माफ नही किया। जब इसकी शिकायत मुख्य सचिव, सचिव खनन से की गई तो उसपर कोई कार्यवाही नही हुई और साथ में यह कहा गया कि यह जिलाधिकारी का विशेषाधिकार है। जिसके बाद उनके द्वारा इसमें आरटीआई मांग कर कहा कि जिलाधिकारी को किस नियमावली के तहत अवैध खनन व भंडारण पर लगे जुर्माने को माफ करने का अधिकार प्राप्त है। आरटीआई के माध्यम से अवगत कराएं। जिसके उत्तर में लोक सूचना अधिकारी औद्योगिक विभाग उत्तराखंड द्वारा कहा गया कि लोक प्राधिकार के अंतर्गत यह धारित नही है। जनहित याचिका में कहा गया कि जब लोक प्राधिकार में उक्त नियम धारित नही है तो जिलाधिकारी के द्वारा कैसे स्टोन क्रेशरों पर लगे करोड़ रुपये का जुर्माना माफ कर दिया। फिर उनके द्वारा 2020 में चीफ सेकेट्री को शिकायत की और चीफ सेकेट्री ने औघोगिक सचिव से इसकी जाँच कराने को कहा। औद्योगिक सचिव ने जिला अधिकारी नैनीताल को जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया। डीएम द्वारा इसकी जांच एसडीएम हल्द्वानी को सौंप दी। जो नही हुई, जबकि औद्योगिक विभाग के द्वारा 21 अक्टूबर 2020 को इसपर जांच आख्या प्रस्तुत करने को कहा था जो चार साल बीत जाने के बाद भी प्रस्तुत नही की गई। जनहित याचिका में कोर्ट से मांग की गई है कि इसपर कार्यवाही की जाय। क्योंकि यह प्रदेश के राजस्व की हानि है।