पहलगाम हमलाः ‘कलमा’ पढ़ने की वजह से बची हिन्दू प्रोफेसर की जान! बोले- दो घंटे तक हलक में अटकीं रहीं सांसे, फिर ऐसे पहुंचे होटल

Pahalgam attack: Hindu professor's life was saved because of reciting 'Kalma'! He said - his breath was stuck in his throat for two hours, then he reached the hotel like this

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में मंगलवार को हुए आतंकी हमले मंे 26 लोगों की मौत हो गयी, जबकि कई लोग घायल हुए हैं। इस हमले के बाद जिंदा बचे प्रत्यक्षदर्शियों की बातों से चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं। कई प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि उन्हें कलमा पढ़ने के लिए कहा गया। इस दौरान जिन्होंने कलमा पढ़ा, उन्हें आतंकियों ने छोड़ दिया और जो नहीं पढ़ सके उन्हें गोली मार दी गयी। इसी तरह असम के एक हिंदू प्रोफेसर को भी आतंकियों ने गोली नहीं मारी। उनका कहना है कि वह कलमा पढ़ सकते थे, जिसके चलते उनकी जान बच गयी। बता दें कि देबाशीष भट्टाचार्य असम यूनिवर्सिटी में बंगाली डिपार्टमेंट में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। 
बताया जाता है कि मंगलवार को हुए आतंकी हमले के दौरान देबाशीष भट्टाचार्य पहलगाम की बेसरन घाटी में अपने परिवार के साथ मौजूद थे। एक समाचार चैनल से बात करते हुए उन्होंने बताया कि वह अपने परिवार के साथ एक पेड़ के नीचे लेटे थे, तभी उन्होंने सुना कि उनके आसपास के लोग कलमा पढ़ रहे थे। यह सुनकर उन्होंने भी पढ़ना शुरू कर दिया। कुछ देर में आतंकी उनकी ओर बढ़ा और बगल में लेटे व्यक्ति के सिर में गोली मार दी। उन्होंने आगे बताया कि इसके बाद आतंकी ने उनकी ओर देखा और पूछा कि क्या कर रहे हो? इसके बाद उन्होंने तेजी से कलमा पढ़ना शुरू कर दिया, इसके बाद आतंकवादी किसी वजह से वहां से चला गया। जिसके बाद वह चुपचाप अपनी पत्नी और बेटी के साथ से छिपकर निकल गए। बताया कि लगभग दो घंटे तक चलते हुए वह होटल तक पहुंचने में कामयाब रहे। वहीं पुणे के एक कारोबारी की बेटी ने भी ऐसा ही दावा किया है। उनका कहना है कि धर्म पूछने के बाद निशाना बनाया गया। युवती ने दावा किया है कि आतंकवादियों ने पुरूष पर्यटकों को उनका धर्म पूछने के बाद निशाना बनाया।