एसवाईएल नहर विवाद: हरियाणा-पंजाब सीएम की दिल्ली में सकारात्मक वार्ता, 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई

सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर आज दिल्ली के श्रम शक्ति भवन में केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सीआर पाटिल की अध्यक्षता में हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी और पंजाब सीएम भगवंत मान के बीच बैठक हुई। बैठक के बाद पंजाब के सीएम भगवंत मान ने कहा कि सकारात्मक माहौल में बातचीत हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यदि बातचीत से ये मामला सुलझता है तो बैठकें की जाएं. कुछ सकारात्मक कदम उठाए जा रहे हैं और उम्मीद है कि आगे भी कदम उठाए जाएंगे क्योंकि यह मुद्दा दोनों राज्यों के बीच नासूर बन चुका है। 13 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है, उससे पहले एक बैठक और होगी। कुछ चीजें अच्छी हुई हैं, ये मुद्दा हमें विरासत में मिला है, पंजाब और हरियाणा के बीच कोई झगड़ा नहीं है, राजनीतिक लोगों ने इसे मुद्दा बनाया है। अच्छे माहौल में बातचीत हुई है, कुछ आगे बढ़े हैं, उम्मीद पर दुनिया कायम है, मैं पंजाब का पक्ष रखने में कामयाब रहा. केंद्र सरकार जरूर उस पर विचार करेगी।
सीएम मान ने आगे कहा कि हमने वाईएसएल पर बात रखी। यमुना का पानी पंजाब को मिलना चाहिए. यमुना के पानी से कई राज्यों में बाढ़ भी आती है। अगर इंडस ट्रीटी रद्द होने के बाद उसका पानी मिलता है तो पंजाब, हरियाणा,राजस्थान के साथ कई राज्यों को पानी मिल सकता है। हमारे पास उस पानी को जमा करने की व्यवस्था है, हम उसको आगे चैनलाइज करेंगे। उन्होंने मजाकिया अंदाज में कहा कि लेकिन कहीं डोनाल्ड ट्रंप सिंधु जल समझौते पर कुछ न कह दे, वो रद्द ही रहे। वहीं हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी ने कहा कि काफी पुराना विषय है, 9 जुलाई को भी पॉजिटिव वार्ता हुई है। 13 तारीख को जब कोर्ट में जाएंगे, पॉजिटिव तरीके से जाएंगे, SYL पर चर्चा हुई है, इंडस ट्रीटी दूसरा विषय है। आपको बता दें कि इससे पहले 9 जुलाई को भी एसवाईएल को लेकर बैठक हो चुकी है जिसमें पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बड़ा बयान देते हुए कहा था कि उन्हें पानी देने में किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है, बस पंजाब को रावी का पानी मिलना चाहिए. हरियाणा हमारा भाई है। हमें पानी मिलेगा तो हम भी पानी की सप्लाई करेंगे। 13 अगस्त को सतलुज-यमुना लिंक नहर को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है जिससे पहले दोनों राज्यों के बीच सहमति बनाने की कोशिशें की जा रही है। करीब 214 किलोमीटर लंबी एसवाईएल को लेकर आज तक की बैठकें बेनतीजा रही है। हरियाणा में आने वाला नहर का हिस्सा बन चुका है, जबकि पंजाब के हिस्से का निर्माण अब तक नहीं हो सका है। सुप्रीम कोर्ट ने 15 जनवरी 2002 को हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाते हुए पंजाब को नहर का काम पूरा करने का आदेश दिया था लेकिन साल 2004 में तत्कालीन पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने विधानसभा में कानून पास करते हुए 1981 के समझौते को रद्द कर दिया था।