महाकुंभ में भगदड़: कई श्रद्धालुओं की मौत होने की आशंका,अखाड़ों का अमृत स्नान रद्द,राहत और बचाव जारी

Stampede in Maha Kumbh: Many devotees feared dead, Amrit Snan of Akharas cancelled, relief and rescue operations underway

प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान के लिए पहुंची भीड़ में भगदड़ मच गई। घटना में कई श्रद्धालुओं मौत होने की आशंका जताई जा रही है। हादसे में कई लोग घायल हैं। उन्हें स्वरूपरानी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। घटना संगम तट पर मंगलवार-बुधवार की रात 1.30 बजे के आसपास की है। दरअसल, दूसरे शाही स्नान के लिए काफी संख्या में लोग संगम नोज पर मौजूद थे।  इस दौरान अफवाह के चलते भगदड़ मच गई। महिला-पुरुष समेत तमाम लोग जमीन पर गिर गए। इसके बाद लोग उन्हें कुचलते हुए आगे बढ़ गए। इससे हालात बिगड़ गए।  संगम तट पर से एंबुलेंस के जरिए घायलों को अस्पताल ले जाया गया। मेलाधिकारी विजय किरन आनंद ने बताया कि अफवाह के कारण भगदड़ मची। 50 से ज्यादा घायल हैं। 


प्रयागराज महाकुंभ में मौनी अमावस्या पर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान कर रहे हैं. दिल्ली से आईं लाली देवी ने बताया कि आज मैंने 108 डुबकी लगाई है।  पुलिस-प्रशासन के इंतजाम ठीक हैं। मैं यहां 5 जनवरी से ही हूं. पुलिस और प्रशासन हर चीज का ध्यान रख रहा है। भगदड़ के बाद भीड़ को नियंत्रित करने के लिए शासन-प्रशासन की ओर से हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। इसी बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर ट्वीट कर श्रद्धालुओं से अपील की है।  उन्होंने लिखा है कि मां गंगा के जिस घाट के जो समीप है, वहीं स्नान करें, संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें. प्रशासन के निर्देशों का अनुपालन करें,व्यवस्था बनाने में सहयोग करें। किसी भी अफवाह पर ध्यान न दें। महाकुंभ मेले में विजय दीक्षा ले चुके लोगों का अमृत स्नान करना अनिवार्य होता है। लिहाजा ऐसे लोगों ने अखाड़ों का शाही स्नान रद्द होने के बावजूद नियम के अनुसार संगम में स्नान किया। महंतों से आज्ञा लेने के बाद वे स्नान के लिए पहुंचे। स्नान के बाद ही उनकी दीक्षा पूरी मानी जाएगी. इसके बाद तय होगा कि उन्हें किस तरह का (नागा संन्यासी या वस्त्र धारण करने वाला साधु) बनना है। 


रात में भगदड़ के बाद सुबह अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है. पुलिस के आला अधिकारियों के साथ भारी सुरक्षा घेरा बनाया गया है। पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को संगम तट पर तैनात किया गया है। वे आने वाली भीड़ को दो हिस्सों में बांटकर रस्सी के जरिए भीड़ को नियंत्रित कर रहे हैं। काफी संख्या में फोर्स को कुंभ मेला क्षेत्र में उतार दिया गया है। प्रयागराज महाकुंभ में भगदड़ के बाद संत-महात्मा भी लोगों से संगम क्षेत्र में न आने की अपील कर रहे हैं।  इसी कड़ी में आध्यात्मिक गुरु व कथा वाचक देवकीनंदन ठाकुर का भी बयान सामने आया है। उन्होंने कहा कि मौनी अमावस्या का स्नान चल रहा है। आज मैं संगम घाट पर नहीं गया, क्योंकि वहां भीड़ बहुत ज्यादा है। पूरी गंगा और यमुना की धारा में 'अमृत' बह रहा है। अगर आप कहीं भी गंगा या यमुना में स्नान करेंगे तो 'अमृत' आपको प्राप्त होगा। ये आवश्यक नहीं है कि संगम में ही आपको डुबकी लगानी है। संगम तट पर चल रहे महाकुंभ मेले में मौनी अमावस्या पर रात करीब 1:30 बजे मची भगदड़ के बाद अधिकारियों ने बस स्टैंड-रेलवे से आने वाले यात्रियों को डायवर्ट करना शुरू कर दिया है। रेलवे के अधिकारियों और बस अड्डे पर तैनात अधिकारियों को निर्देश दिया गया है कि अब जो भी यात्री संगम क्षेत्र में पहुंच रहे हैं. उन्हें संगम क्षेत्र में न ले जाकर के अन्य घाटों पर पहुंचाया जाए। रेलवे स्टेशन से सीधे श्रद्धालुओं को बालसन चौराहे से बक्शी बंध होते हुए नवास की दशा सुमेर घाट और सेक्टर 6 में बने गंगा घाट की तरफ भेजा जा रहा है। नैनी क्षेत्र से आने वाले श्रद्धालुओं को साइड में ही गंगा स्नान कराया जा रहा है। आई ट्रिपल सी कमांड सेंटर के रेलवे अधिकारियों के साथ पुलिस प्रशासन भी बराबर संपर्क साधे हुए हैं। 

जगह-जगह पर लगे कैमरों के माध्यम से मार्गों की निगरानी की जा रही है। महाकुंभ मेला प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं को बताया जा रहा है कि वह किसी भी गंगा घाट पर स्नान करें। संगम घाट की तरफ न आएं. मंगलवार की सुबह से ही बढ़ रहे संगम नोज पर दबाव के चलते देर शाम से ही श्रद्धालुओं को डायवर्ट करना शुरू कर दिया गया था।  रात में स्थिति सामान्य होने पर संगम घाट पर दोबारा श्रद्धालुओं को पहुंचने दिया जा रहा था। भगदड़ के बाद मेला प्रशासन अब पूरी कोशिश कर रहा है कि जो भी श्रद्धालु प्रयागराज पहुंच रहे हैं, वह संगम न आए, नजदीकी घाट पर स्नान करें। लोगों से जल्द से जल्द मेला क्षेत्र को खाली करने के लिए कहा जा रहा है। वहीं फाफामऊ-झूंसी-सतना घाट पर श्रद्धालुओं को वहीं पर स्नान करने की सलाह दी जा रही है। प्रयागराज आने वाली ट्रेनों को देरी से लाने के लिए कहा गया है, जिससे संगम क्षेत्र के दबाव को कम किया जा सके। वहीं डायवर्जन के बाद संगम तक आने वाले मार्ग में भीड़ कुछ कम हुई है।