सनसनीखेज खुलासाः दिल्ली में पकड़ा गया सीरियल किलर! पहले कैब बुक कर जाते थे पहाड़ों की तरफ, फिर ड्राइवर की हत्या कर खाई में फेंक देते थे लाश, जानें क्या है उत्तराखण्ड कनेक्शन?

नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच को एक बड़ी सफलता मिली है। दरअसल दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की आरकेपुरम टीम ने ऐसे सीरियल किलर को पकड़ा है, जिसने अपने तीन साथियों के साथ मिलकर चार कैब ड्राइवर्स की हत्या की। इसके बाद शवों को उत्तराखंड की पहाड़ियों से गहरी खाई में फेंक दिया। गिरफ्तार आरोपी की पहचान अजय लांबा के रूप में हुई है, जो दिल्ली के इंडिया गेट इलाके से पकड़ा गया। पुलिस के अनुसार यह गिरोह पिछले कई वर्षों से एक्टिव था। अब तक कई कैब ड्राइवरों को अपना शिकार बना चुका है। पुलिस की जांच में सामने आया है कि यह गैंग रेंट पर कैब बुक करता था। ड्राइवर को उत्तराखंड की ओर ले जाकर पहले उसे नशीला पदार्थ देकर बेहोश करता था। इसके बाद गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी जाती थी।
हत्या के बाद आरोपी कैब को नेपाल ले जाकर ऊंचे दामों में बेचते थे। अब तक इस केस में चार ड्राइवरों की हत्या की पुष्टि हो चुकी है, जिनमें से केवल एक शव पुलिस बरामद कर सकी है। बाकी तीन शवों का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस को शक है कि यह गैंग दर्जनों मिसिंग कैब ड्राइवर केसों से जुड़ा हो सकता है और उनकी हत्या भी इन्हीं आरोपियों ने की हो। गिरफ्तार आरोपी अजय लांबा नेपाल में भी करीब 10 साल तक छिपा रहा और वहीं की एक युवती से शादी की। उसके खिलाफ दिल्ली में ड्रग्स तस्करी और ओडिशा में डकैती जैसे संगीन मामलों में पहले भी जेल जा चुका है। इस गैंग के अन्य सदस्य धीरेंद्र और दिलीप पांडे पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं, लेकिन एक और अहम आरोपी धीरज अभी फरार है, जिसकी तलाश जारी है। दिल्ली पुलिस की गिरफ्त में आए इस सीरियल किलर से गहन पूछताछ जारी है।
अजय का आपराधिक इतिहास
अजय मूल रूप से दिल्ली के कृष्णा नगर इलाके का रहने वाला है और 1976 में पैदा हुआ था। उसने छठी क्लास के बाद स्कूल छोड़ दिया और किशोर अवस्था में ही अपराध की दुनिया में कदम रख दिया। विकासपुरी थाने में वह “बंसी” के नाम से घोषित बदमाश था। 1996 में उसने नाम बदलकर अजय लांबा कर लिया और बरेली, उत्तर प्रदेश में बस गया। वह 1999 से 2001 के बीच दर्ज चार हत्या-डकैती के मामलों में आरोपी था। ये केस दिल्ली के न्यू अशोक नगर, उत्तराखंड के हल्द्वानी, अल्मोड़ा और चंपावत में दर्ज हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, उस पर 1990 से पहले के कई चोरी, हथियार रखने जैसे मामले भी दर्ज हैं।