पदोन्नति नियम 2025 के खिलाफ सपाक्स का अधिवेशन! न्यायिक लड़ाई और जनप्रतिनिधियों ज्ञापन देने की बनी रणनीति

SAPAKS convention against promotion rule 2025! Strategy made for judicial battle and giving memorandum to public representatives

सामान्य, पिछड़ा एवं अल्पसंख्यक वर्ग अधिकारी-कर्मचारी संगठन (सपाक्स) का प्रांतीय अधिवेशन एवं सामान्य सभा की बैठक रविवार को नर्मदीय भवन, तुलसी नगर में आयोजित हुई। अधिवेशन में मध्य प्रदेश लोक सेवा पदोन्नति नियम 2025 पर गंभीर आपत्तियाँ उठाई गईं और इसे उच्च न्यायालय एवं सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन बताया गया। कार्यक्रम में डॉ. के.एस. तोमर, अजय जैन, सुधीर नायक, उमाशंकर तिवारी, सुनील पटेरिया, डी.के. भदौरिया, रक्षा चांबे, डॉ. एस.के. श्रीवास्तव, अरविंद चंदेल समेत संगठन के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी एवं विभिन्न जिलों से आए प्रतिनिधि उपस्थित थे। वक्ताओं ने एकतरफा नियमों को अल्पसंख्यक, सामान्य और पिछड़ा वर्ग के साथ अन्याय करार दिया।

बैठक में निर्णय लिया गया कि संगठन के सदस्य जिलों में सांसदों और विधायकों से भेंट कर अभ्यावेदन सौंपेंगे तथा जिला कलेक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन देंगे। साथ ही, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी नियमों के विरुद्ध न्यायिक संघर्ष जारी रखने का ऐलान किया गया। सपाक्स ने पदोन्नति नियमों में प्रमुख आपत्तियों में यह कहा कि 2016 से लंबित पदोन्नतियों को 2025 से लागू करना अन्यायपूर्ण है। पुराने मामलों में पदावनत न किए गए आरक्षित वर्ग के अधिकारियों को पुनः पदोन्नति देना न्यायिक आदेशों के विरुद्ध है। क्रीमी लेयर का प्रावधान न होना, बैकलॉग पदों की समय सीमा तय न करना और अनारक्षित पदों पर आरक्षित वर्ग की पदोन्नति जैसे बिंदु भी प्रमुख आपत्तियों में शामिल हैं। संगठन ने यह भी स्पष्ट किया कि वह आरक्षण की समीक्षा, आर्थिक आधार पर आरक्षण, एट्रोसिटी एक्ट में संशोधन, नियमित नियुक्तियों की बहाली, संविदा और आउटसोर्सिंग समाप्त करने, और बैकलॉग की पारदर्शी गणना जैसे मुद्दों पर भी निर्णायक संघर्ष करेगा।