गणतंत्र दिवस स्पेशलः क्या आप जानते हैं भारतीय संविधान हीलियम से भरे केस में कहां रखा है सुरक्षित? जिस कलम से संविधान लिखा उसके निब के नंबर से लेकर संविधान की लिखावट से जुड़े रोचक तथ्य जानिए

Republic Day Special: Do you know? Where is the Indian constitution kept in a case filled with helium

आज भारत 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा है। आज ही के दिन 1950 में भारत को अपना संविधान मिला था। भारतीय संविधान 26 नवंबर के दिन अंगीकार किया गया हिंदी और अंग्रेजी में हस्तलिखित संविधान है,जो 2 साल 11 महीने और 18 दिन में बनकर तैयार किया गया था,भारत के संविधान में 48 आर्टिकल हैं। बहुत कम लोग जानते है कि संविधान को बनाने के लिए मसौदा तैयार करनी वाली समिति की स्थापना 29 अगस्त 1947 को आजादी के कुछ ही दिन बाद की गई थी,जिसके अध्यक्ष डॉक्टर भीमराव अंबेडकर  थे,भारत के संविधान में किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंट का इस्तेमाल नही किया गया है। आज भारत के संविधान को बने हुए वर्ष हो चुके हैं,संविधान से जुड़े कुछ रोचक तथ्य आज हम आपको बताते है।

जिस वक्त संविधान बनाया गया था उस वक्त इसमें किसी भी तरह की टाइपिंग या प्रिंटिंग नही की गई थी बल्कि बाद में कैलीग्राफी का इस्तेमाल किया गया था,संविधान बनाने की समिति में भीमराव अंबेडकर के अलावा पंडित जवाहर लाल नेहरू, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद, सरदार वल्लभ भाई पटेल,मौलाना अबुल कलाम, आदि मुख्य सदस्य थे। संविधान के प्रारूप तैयार करने के लिए भीमराव अंबेडकर को समिति का अध्यक्ष चुना गया था लेकिन डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद समिति के स्थायी अध्यक्ष अंत तक बने रहे थे,चूंकि प्रारूप तैयार करने की ज़िम्मेदारी भीमराव अंबेडकर को दी गयी थी, इसीलिए उन्हें ही भारत के संविधान का निर्माता भी कहा जाता है।

भारत का संविधान 22 भागों में विभाजित है ।भारतीय संविधान 26 नवंबर को बन कर तैयार हुआ था, लेकिन 26 जनवरी 1950 से प्रभाव में आया इसीलिए इस दिन को भारत मे गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है। संविधान की खास बात ये है कि इसमें अधिकार और कर्तव्य के बारे में विस्तार से वर्णन किया गया है,भारत का संविधान हर नागरिक को मौलिक अधिकार प्रदान करता है, और ऊंच नीच जात पात छुआ छूत जैसी  धारणाओं को दूर करने के प्रयास करता है।भारत के संविधान को कई देशों के संविधान से महत्वपूर्ण बिंदुओं को लेकर बनाया गया है,संविधान के अधिनियम में आने के बाद ही महिलाओं को भी मत देने का अधिकार प्राप्त हुआ,दुनिया का सबसे बड़ा और लचीला संविधान भारत का संविधान ही है। ऐसा कहा जाता है कि जिस दिन संविधान पर हस्ताक्षर हो रहे थे उस दिन खूब जोर की बारिश हो रही थी। इसे शुभ संकेत के तौर पर माना गया।

भारत का संविधान हिंदी और अंग्रेजी दोनों ही भाषाओं में बड़ी खूबसूरती के साथ लिखा गया है,इसकी मूल प्रति दोनों ही भाषाओं में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने लिखी थी।जिस कलम से संविधान को लिखा गया था वो 303 नंबर और 254 नंबर की होल्डर निब थी।संविधान के हर पेज को बेहद खूबसूरत इटैलिक लिखावट में लिखा गया है। इसे लिखने में प्रेम बिहारी नारायण रायजादा को 6 महीने लगे थे। जब उनसे मेहनताना पूछा गया था तो उन्होंने कुछ भी लेने से इनकार कर दिया था। उन्होंने सिर्फ एक शर्त रखी कि संविधान के हर पृष्ठ पर वह अपना नाम लिखेंगे और अंतिम पेज पर अपने नाम के साथ अपने दादा का भी नाम लिखेंगे।

संविधान की लिखावट इटैलिक है।भारत का संविधान सिर्फ लिखित ही नही है बल्कि ये चित्रों से भी सजा हुआ है। संविधान का हर पेज चित्रों से आचार्य नन्दलाल बोस ने सजाया है,संविधान का प्रस्तावना पेज राम मनोहर सिन्हा ने सजाया है वो बोस के ही शिष्य थे, संविधान की मूल प्रति भारत के संसद की लाइब्रेरी में हीलियम से भरे केस में रखी गयी है। हीलियम एक "नॉबल गैस" है, जिसका मतलब है कि यह केमिकल रूप से नॉन-रिएक्टिव है। यह कागज या स्याही के साथ रिएक्शन नहीं करती है, जिससे ऑक्सीडेशन की संभावना खत्म हो जाती है। ऑक्सीडेशन डॉक्यूमेंट के पीले पड़ने और खराब होने का सबसे बड़ा कारण होता है.इसे बचाने के लिए ही भारत के संविधान की हाथों से लिखी कॉपी नई दिल्ली में पार्लियामेंट लाइब्रेरी में रखी है। हीलियम-से भरा कंटेनर आसपास की ह्यूमिडिटी लेवल को कंट्रोल रखता है। इससे कागज में नमी अब्सॉर्ब नहीं होती है। 

इस चैंबर को एक स्थिर तापमान बनाए रखने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे फिजिकल और केमिकल डैमेज का जोखिम कम हो जाता है  तापमान में अचानक बदलाव होने से कागज फैल सकता है या सिकुड़ सकता है  इससे उसमें दरारें पड़ सकती हैं। ये हीलियम चैंबर यूवी रेडिएशन से बचाता बचाता है। इससे स्याही फीकी पड़ सकती है और कागज के रेशे कमजोर हो सकते हैं। कांच को यूवी किरणों को रोकने वाले फिल्टर से लैस किया गया है, जिससे डॉक्यूमेंट बाहर से देखा जा सकता है लेकिन इसको कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकेगा।

हीलियम ही क्यों?
नाइट्रोजन या आर्गन जैसी दूसरी नॉन-रिएक्टिव गैसों के बजाय हीलियम का उपयोग इसके कुछ गुणों के कारण किया जाता है। हीलियम हवा से कम भारी होती है, जिससे यह चैंबर को समान रूप से भर देती है और बची हुई ऑक्सीजन को हटा देती है। इसके अलावा, हीलियम लंबे समय तक प्रभावी रहती है, जिससे बार-बार इसे बदलने की जरूरत नहीं होती।