झारखंड में एक गांव है पूर्वी सिंहभूम के बहरागोड़ा प्रखंड की खंडामौदा पंचायत का बड़ाडहर,जो पूरे भारत मे एक खास वजह से प्रसिद्ध है ये प्रसिद्धि सरकार की नाकामी की झूठे वादों और विकास के झूठे दावों की भी पोल खोलती है।
दरअसल जिला मुख्यालय से करीब सौ किमी दूर बसे इस गांव में लंबे अरसे से किसी लड़के की शादी नहीं हुई है। यहां कोई भी बाप अपनी बेटी की शादी करना ही नही चाहता। अब आलम ये हो चुका है कि यहां के लड़के गांव से बाहर जाकर शादी रचा रहे है और शादी के बाद वापस गांव ही नही आते। इसकी सबसे बड़ी वजह है इस गांव में विकास का न होना। सरकार की अनदेखी की वजह से ये गांव आज भी सदियों पुराने जमाने का लगता है जहाँ खाल नदी का जलस्तर बढ़ जाने से लोग अपने घरों में कैद हो जाते हैं,गांव एक टापू जैसा बन जाता है,ज्यादा बारिश आने पर बिजली भी तीन चार दिनों तक गुल हो जाती है। खेतों में पानी भर जाने से मेढ़ का रास्ता भी नहीं दिखाई देता है। ऐसे में लोग बारिश से पहले सूखा राशन जमा कर देते हैं। बड़ाडहर गांव में 22 परिवारों में लगभग 228 लोग रहते हैं। इस गांव में सड़क, पानी और बिजली की गंभीर समस्या है। पगडंडी के सहारे गांव पहुंचते हैं। गांव में सरकारी चापाकल है,और सोलर जलमीनार भी बेकार हो गया है। पांच सौ मीटर दूर खाल नदी में कुआं खोदकर पानी का इंतजाम करते हैं।
बड़ाडहर में किसी लड़की की शादी जब होती थी तो दो किमी की पैदल यात्रा कर बारात गांव पहुंचती थी, दूल्हे को भी पैदल ससुराल आना पड़ता था। लोगों के बीमार होने पर मरीजों को एम्बुलेंस तक पहुंचने के लिए खाट का सहारा लेना पड़ता है। गांव में शौचालय नहीं होने के कारण लोग खुले में शौच करते हैं। उज्ज्वला गैस योजना से भी यहां के लोग अछूते हैं। ऐसे में गांव की महिलाओं को लकड़ी के चूल्हों पर खाना पकाना पड़ता है। बारिश के दिनों में महिलाएं अपने बच्चों को लेकर मायके तक चली जाती हैं।
गांव में इतनी सारी असुविधाओं के कारण ही दूसरे गांव के लोग इस गांव में अपनी बेटी की शादी से कतराते हैं। यहां लोग रात में भी रुकना पसंद नहीं करते हैं। बारिश के दिनों में तो कोई रिश्तेदार भी यहां नहीं आता हैं।