नैनीताल: सिस्टम की अनदेखी! मंत्री के निर्देशों के बावजूद ओखलकांडा के गलनी में स्वीकृत नही हुई ढाई किलोमीटर सड़क, ग्रामीणों ने मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन! आरोप- सीएम हेल्पलाइन से भी नहीं हुआ समाधान
नैनीताल/भीमताल। इसे जनप्रतिनिधियों की नाकामी कहें या फिर सिस्टम की अनदेखी! जो भी हो नैनीताल जिले के दूरस्थ विकासखंड ओखलकांडा अंतर्गत ग्राम पंचायत गलनी आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। वर्ष 2023 में सड़क सुविधा के नाम पर राज्य योजना अंतर्गत राज्य मार्ग संख्या 64 मोटर मार्ग के किमी. 81 से ग्राम पंचायत गलनी जामनी की ओर ढाई किलोमीटर मोटर मार्ग निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग अस्थाई खण्ड भवाली द्वारा आगणन तैयार किया गया और मुख्य अभियंता हल्द्वानी नैनीताल द्वारा प्रस्तुत आगणन प्रस्तावित मोटर मार्ग निर्माण को स्वीकृति के लिए सचिव लोक निर्माण विभाग को भेजा गया। यही नहीं ग्रामीणों ने विधायक, सांसद, सरकार में कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज तक सड़क स्वीकृति कराने की गुहार लगाई। तब मंत्री सतपाल महाराज ने लोक निर्माण विभाग के सचिव को सड़क स्वीकृति के मामले में आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए। इसके बाद प्रस्तावित मोटर मार्ग निर्माण को लोनिवि अस्थाई खण्ड भवाली द्वारा स्वीकृति के लिए शासन को भेजा गया। बावजूद आज तक सड़क स्वीकृत नहीं हो पाई। अब मामले में ग्रामीणों ने शासन स्तर से सड़क स्वीकृत कराने की मांग मुख्यमंत्री से की है। ग्रामीणों ने जिला विकास अधिकारी के माध्यम से मुख्यमंत्री के अपर निजी सचिव को ज्ञापन भेजा गया है। ग्रामीणों के मुताबिक उन्होंने उत्तराखंड सीएम हेल्पलाइन 1905 के माध्यम से भी सड़क स्वीकृति
की गुहार लगायी और मामला आठ बार लोक निर्माण विभाग के सचिव डॉ. पंकज कुमार पांडेय के पास पहुंचा। बावजूद बिना समाधान हुए L3 स्तर से बंद मामला कर दिया गया। वहीं सामाजिक कार्यकर्ता और गलनी जामनी निवासी काश्तकार भूपाल बर्गली ने बताया कि सड़क सुविधा नहीं होने के कारण किसानों को अपनी उपज को बाजारों तक पहुंचाने में देरी होती है, जिससे फसल खराब होने के साथ-साथ आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है I ग्रामीणों का कहना है कि राज्य मार्ग संख्या 64 खनस्यूं पतलोट मोटर मार्ग गलनी जामनी से भूमिया मंदिर गलनी तक सड़क मिलान नहीं होने से गलनी, चमोली, टीमर, बड़ौन सहित दर्जनों गांवों के लोगों को मजबूरन सीरायल, तल्ली गरगड़ी, मल्ली गरगडी, कालाआगर, कैड़गौ, आदि गांवों से घूम कर तकरीबन तीस 40 किलोमीटर अतिरिक्त सफ़र तय करना पड़ता है।