नैनीताल!चंद्र ग्रहण 2025: ARIES की तस्वीरों में कैद हुआ चन्द्रग्रहण ! एरीज रजिस्ट्रार मोहित जोशी ने बताया blood moon के पीछे का रहस्य

7 सितंबर 2025 को भारत सहित विश्व के कई हिस्सों में साल का दूसरा और अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण देखा गया। यह खगोलीय घटना रात 9 बजकर 58 मिनट से शुरू होकर 8 सितंबर की सुबह 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त हुई। लगभग 3 घंटे 28 मिनट तक चले इस ग्रहण ने देशभर के खगोल प्रेमियों को मंत्रमुग्ध कर दिया। रात 11 बजकर 42 मिनट पर चंद्रमा पूरी तरह पृथ्वी की छाया में ढक गया, जिसने इसे "ब्लड मून" का रूप दिया। लाल रंग में नहाया चांद आसमान में एक अनुपम दृश्य प्रस्तुत कर रहा था। नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (ARIES) से इस ग्रहण की शानदार तस्वीरें कैद कीं, जो अब सोशल मीडिया और वैज्ञानिक समुदाय में चर्चा का विषय बनी हुई हैं। एरीज नैनीताल द्वारा इन तस्वीरों में चंद्रमा के लाल रंग और उसकी सतह की बारीकियों को बेहद स्पष्टता से दर्शाया है।
एरीज के वैज्ञानिक डॉक्टर मोहित जोशी ने बताया कि आज पूर्ण चंद्रग्रहण है जो कि बेहद ही आकर्षक खगोलीय घटना है जिसे पूरे भारतवर्ष में देखा जा रहा है। हमारे समाज में चंद्रग्रहण को लेकर तरह तरह के अंधविश्वास भी इस घटना से जुड़े रहते है,और जिज्ञासा भी रहती है कि इसके क्या लाभ है और क्या नुकसान। एरीज नैनीताल जो कि एस्ट्रोनॉमी के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित संस्थान है,यहां से हमारी कोशिश रहती है कि समाज में वैज्ञानिक दृष्टिकोण और चेतना का विकास करे खासकर बच्चों में। सोशल मीडिया के माध्यम से हम लाइव चंद्रग्रहण दिखा रहे हैं,इससे पहले 2018/2022 में भी चंद्रग्रहण देखे गए थे। 2018 के बाद ये पहली बार है कि हम पीरे देश में चंद्रग्रहण देख पा रहे हैं। चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में गुजरता है, और पूरी तरह से डार्क दिखाई देता है। भारत के सभी शहरों में चंद्र ग्रहण एक समय पर ही दिखेगा। इससे घबराने की जरूरत नहीं है जितने भी अंधविश्वास चंद्रग्रहण को लेकर समाज में फैले हैं उन्हें हम दूर करने का प्रयास करते हैं।
आपको बता दें कि यह ग्रहण भारत, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका और अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई दिया। दिल्ली के नेहरू तारामंडल में आयोजित "चंद्र मेला" में हजारों लोग इस नजारे को देखने के लिए एकत्र हुए। वैज्ञानिकों ने इसे एक दुर्लभ अवसर बताया, जिसने चंद्रमा और पृथ्वी की गतिशीलता को समझने का मौका दिया।
सोशल मीडिया पर ISRO ने भी चन्द्रग्रहण की तस्वीरें और वीडियो साझा किए, जिससे यह घटना और भी चर्चा में रही।