चंद्रग्रहण 2025ः तीन रंगों में सजेगा आसमान! आज रात साढ़े 5 घंटे में दिखेंगे 5 अद्भुत संयोग

नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण 2025 का रोमांचक इंतजार अब खत्म होने जा रहा है। आज 7 सितंबर को लगने वाला यह साल का सबसे बड़ा चंद्र ग्रहण भारत समेत दुनिया के कई हिस्सों में नजर आएगा। खास बात यह है कि इस बार चांद लाल रंग का दिखेगा, जिसे लोग ब्लड मून के नाम से भी जानते हैं। बता दें कि चंद्र ग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में गुजरता है और पूरी तरह से डार्क दिखाई देता है। जानकारों की मानें तो आज रविवार की रात लगने वाला चंद्रग्रहण कई मायनों में अलग है और अद्भुत संयोग वाला है। सूर्य और चंद्रमा के ठीक बीचों-बीच धरती होगी। करीब साढ़े पांच घंटे तक लगने वाले चंद्रग्रहण के दौरान आसमान कई खूबसूरत नजारों का साक्षी होगा। इस दौरान 5 अद्भुत संयोग देखने को मिलेंगे।
तीन रंगों में सजेगा आसमान: रविवार की रात देशभर के लोग चांद का अनोखा रूप देखेंगे, जब सामान्य सफेद या भूरा चांद ग्रहण के कारण गहरे लाल रंग में नजर आएगा। जैसे-जैसे पृथ्वी का साया चांद पर बढ़ेगा, वह पहले हल्का धुंधला, फिर नारंगी और आखिर में गहरे लाल रंग में बदलता जाएगा। यह दृश्य 'ब्लड मून' कहलाता है, जब पूर्ण चंद्रग्रहण के वक्त सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा पर आते हैं और सूर्य की किरणें पृथ्वी के वातावरण से होकर चांद पर पड़ती हैं, जिससे उसकी चमक लाल हो जाती है।
पांच घंटे 27 मिनट तक चलेगा चंद्रग्रहण: दिल्ली सहित कई शहरों में चंद्रग्रहण रात 9:58 बजे शुरू होकर 2:25 बजे तक आकाश में नजर आएगा। यह खगाग्र चंद्रग्रहण करीब 5 घंटे 27 मिनट तक चलेगा, जिसमें चंद्रमा के अलग-अलग रंग और अद्भुत दृश्य लोग देख सकेंगे। इस दौरान शुरुआती चरण में चांद चमकीला रहेगा, फिर लगातार उसका रंग बदलता जाएगा और ग्रहण की समाप्ति पर वह फिर से धुंधला दिखाई देगा।
श्राद्ध पर सूतक का प्रभाव नहीं: आज पूर्णिमा के साथ पितृपक्ष यानी श्राद्ध भी शुरू हो रहा है. ज्योतिषियों के अनुसार, इस बार चंद्रग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से लगेगा, लेकिन श्राद्ध कर्म पर प्रभाव नहीं पड़ेगा। पितरों की पूजा, तर्पण और श्रद्धा विधान ग्रहण के बावजूद पूरे किए जा सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि पूर्णिमा पर लगने वाले ग्रहण का सूतक श्राद्ध पद्धतियों को बाधित नहीं करता है।
खगाग्र चंद्रग्रहण: आज जो चंद्रग्रहण लगेगा, वह 'खगाग्र चंद्रग्रहण' कहलाता है, जिसमें पृथ्वी की गहरी छाया चंद्रमा को पूरी तरह ढंक लेती है। यह पूर्ण चंद्रग्रहण से बड़ा माना जाता है, और चांद का रंग पहले धुंधला, फिर नारंगी और फिर गहरा लाल हो जाता है। इस घटना के दौरान चंद्रमा एक किनारे से काले साए में डूबता हुआ दिखेगा, जो ग्रहण के चरम पर पूरी तरह लाल नजर आएगा।
सूर्योदय-सूर्यास्त जैसा नजारा: ग्रहण के दौरान चांद जिस रंग में दिखेगा, वह बिल्कुल सूर्योदय या सूर्यास्त जैसे नजारों जैसा होगा। पर्यावरण विशेषज्ञों के मुताबिक, ग्रहण के समय सूर्य की रोशनी पृथ्वी के वायुमंडल से होकर चांद तक पहुंचती है, जिससे उसकी सफेदी गायब होकर लाल, नारंगी और काले रंग की छटा बिखेरती है। यह दृश्यबद्धता हर बार नहीं, बल्कि वर्ष के कुछ ही खास मौकों पर दिखाई देती है।