वह सीएम हैं तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? धामी सरकार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार! सामंती युग का किया जिक्र
नई दिल्ली। भारतीय वन सेवा के अधिकारी राहुल को राजाजी टाइगर रिजर्व के निदेशक के रूप में नियुक्त करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के फैसले पर कड़ी आपत्ति जताई है। बता दें कि उक्त अधिकारी को पहले कॉर्बेट टाइगर रिजर्व से अवैध पेड़ काटने के आरोपों के चलते हटा दिया गया था और अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही अभी भी लंबित है।
बीते बुधवार को मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि हम सामंती युग में नहीं हैं, जैसा राजाजी बोले वैसा चले... मुख्यमंत्री को तर्क देना चाहिए था। कम से कम यह उम्मीद की जाती है कि जब वह अपने मंत्री और मुख्य सचिव से असहमत थे तो वह लिखित रूप में कारणों के साथ अपने विवेक का इस्तेमाल करेंगे। हम कम से कम इसकी उम्मीद करते हैं। शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से मामले में मुख्यमंत्री का एफिडेविट दायर करने के लिए कहा। वरिष्ठ वकील और एमिकस क्यूरी के परमेश्वर ने पीठ को बताया कि संबंधित आईएएस अधिकारी पर पहले भी आरोप पत्र दायर किया जा चुका है। उन्होंने कहा कि सिविल सर्विसेज बोर्ड द्वारा आईएफएस अफसर राहुल की राजाजी नेशनल पार्क में पोस्टिंग के लिए कोई सिफारिश नहीं की गई थी, यह एक राजनीतिक पोस्टिंग है।
इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि इस देश में लोगों के विश्वास पर खरा उतरने जैसा कोई सिद्धांत है या नहीं? संवैधानिक पदों पर बैठे लोग जो चाहे नहीं कर सकते। जब जनता समर्थन में नहीं है तो उन्हें वहां तैनात नहीं किया जाना चाहिए था। बावजूद इसके वह सीएम हैं, तो क्या कुछ भी कर सकते हैं? अदालत की यह टिप्पणी तब आई जब उत्तराखंड सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एएनएस नाडकर्णी ने मुख्यमंत्री के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि सीएम के पास ऐसी नियुक्तियां करने का विवेकाधिकार था। शीर्ष अदालत शुरू में अपने आदेश में सीएम से एक हलफनामा दायर करने के लिए कहने को इच्छुक थी, लेकिन वकील ने कहा कि उत्तराखंड सरकार अगली सुनवाई के दौरान खुद स्पष्टीकरण देगी। जस्टिस बीआर गवई, केवी विश्वनाथन और प्रशांत कुमार मिश्रा पीठ वन संबंधी मामलों की निगरानी के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट पर विचार कर रही थी।