क्या आप कभी गए है इस हिल स्टेशन में?दुनिया का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड है यहाँ,हिंदुस्तानियों को मॉल रोड में चलने की नही थी इजाज़त तो पटियाला के एक राजा ने हिंदुस्तानियों के लिए 1893 में बसा दिया ये हिल स्टेशन!

Have you ever been to this hill station? World's highest cricket ground is here, a king of Patiala discovered this hill station in 1893!

हुस्न पहाड़ो का,क्या कहना! के बारहों महीने यहाँ मौसम जाड़ों का।
पहाड़ो की सैर करना, गर्मियों की छुट्टियां पहाड़ो में बिताना भला किसे पसंद नही होगा। ज़्यादातर लोगो की फेवरेट हॉलीडे डेस्टिनेशन हिल्स ही होते है। भीड़भाड़,होहल्ला और प्रदूषण से दूर खूबसूरत शांत वादियों में लोग रहना पसंद भी करते और भीषण गर्मी से छुटकारा भी पा लेते है।यही वजह है कि ज़्यादातर हिल स्टेशनों में सालभर टूरिस्ट्स का तांता लगा रहता है। आज हम आपको ऐसे हिल स्टेशन के बारे में बताने जा रहे है जहां विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट का मैदान है इस हिल स्टेशन को आज से करीब 130 साल पहले एक राजा ने खोजा था।

चलिए जानते है इस खूबसूरत शांत और अनोखे हिल स्टेशन के बारे में।


हिमाचल प्रदेश की खूबसूरत वादियों में समुद्र तल से करीब 2250 मीटर की ऊंचाई पर बसा है एक छोटा सा हिल स्टेशन चैल! इसे ऑफबीट डेस्टिनेशन भी कहा जाता है यानी यहां ज़्यादा भीड़भाड़ नही रहती है। इसे सीक्रेट हिल स्टेशन भी कहा जाता है। लेकिन एक बार अगर कोई यहां आ गया तो यकीन मानिए वो दोबारा अपने आप खींचा चला आता है।

चैल हिल स्टेशन को 130 साल पहले पटियाला के एक राजा भूपिंदर सिंह ने 1893 में खोजा था। चैल शिमला से 44 किलोमीटर (27 मील) और सोलन से 45 किलोमीटर (28 मील) दूर है । यह अपनी कुदरती सुंदरता और मनमोहक जंगलों के लिए जाना जाता है।

 

ऐसा कहा जाता है कि यहाँ के महल एंग्लो नेपाली युद्ध मे पूर्व सहयोग के लिए अंग्रेजों द्वारा उन्हें आवंटित की गई जमीन पर ब्रिटिश राज काल मे पटियाला के महाराजा भूपिंदर सिंह द्वारा समर रिट्रीट के रूप में विकसित किया गया था। यहां विश्व का सबसे ऊंचा क्रिकेट ग्राउंड भी है जहां क्रिकेट के अलावा पोलो भी खेला जाता है। ये क्रिकेट ग्राउंड समुद्र तल से 2444 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। ये मैदान इतिहास में पटियाला के पूर्ववर्ती शाही परिवार के स्वामित्व में रहा था।चैल हिल स्टेशन ट्रैकर्स और एडवेंचर लवर्स में खासा पॉपुलर है। चैल अपने प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है यहां चैल पैलेस अपनी विशेष वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।


चैल का अपना एक इतिहास है। पटियाला के महाराजा ने इसीलिए भी ये हिल स्टेशन बसाया क्योंकि शिमला के माल रोड पर अंग्रेजों ने लिखकर लगा रखा था, भारतीय लोग इस पर नहीं आ सकते। ये बात उन्हें खल गयी और इस जगह को बसाया गया।

 

ऐसा भी कहा जाता है कि 1891 में पटियाला के राजिन्दर सिंह की लॉर्ड किचनर से अनबन हो गई। परिणामवश उसने उनके भारत की (तत्कालीन) ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया। महाराजा इससे क्रोधित हुए और उन्होंने स्वयं के लिए एक नया समर रिट्रीट बनाने का इरादा किया। इसलिए उन्होंने अपनी आवश्यकता-अनुसार चैल का पुनर्निर्माण किया। भारतीय संघ में प्रवेश के बाद पटियाला के महाराजा ने अपनी अधिकांश इमारतों को चैल मिलिट्री स्कूल और भारत सरकार को दान कर दिया।

इस कस्बे में सबसे  पहले पटियाला के महारजा भूपिंदर सिंह ने ही गुरद्वारा साहिब का निर्माण करवाया था उसके बाद ही चैल पैलेस बनाया गया |

राज्य सरकार ने यहाँ की एक जमीन को 1971 में पटियाला के महाराजा से लगभग 22 लाख रुपये में खरीदा था और 1972 में इस विला में राज्य पर्यटन विकास निगम होटल खोला गया था, जिसे अब चैल पैलेस होटल के नाम से जाना जाता है।

चैल पैलेस की 352 बीघा जमीन पर्यटन विभाग के नाम है। नीले पत्थरों और हरे भरे लॉन, ऊंचे घने देवदार के पेड़ों से बने इस महल की खूबसूरती हर आने-जाने वाले को अपनी ओर आकर्षित करती है। चैल पैलेस हर साल एक लाख से अधिक सैलानियों को आकर्षित करता है।

 

चैल के बारे में एक और दिलचस्प जानकारी है कि अब राजा के इस महल को अजायबघर में तब्दील कर दिया गया है इसको लोग टिकट खरीद कर देखने जाते हैं।