अलविदाः देश ने खोया रतन! सादगी से जीत लेते थे हर दिल, घर की रसोई से लेकर आसमान तक किया राज

Goodbye: The country has lost its gem! Used to win every heart with simplicity, ruled from the kitchen of the house to the sky.

नई दिल्ली। जाने-माने उद्योगपति रतन टाटा का निधन हो गया है। उन्होंने बुधवार की देर शाम मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने 86 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कहा। उनके निधन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत तमाम हस्तियों ने शोक जताया है। बता दें कि रतन टाटा ऐसी शख्सियत थे, जिनके जैसा बन पाना हर किसी के बस की बात नहीं। बिजनेस सेक्टर में बड़ा नाम होने के साथ ही उनकी पहचान एक दरियादिल इंसान की भी थी। रतन टाटा का जन्म नवल टाटा और सूनी टाटा के घर हुआ था, हालांकि, उनके माता पिता बचपन में ही अलग हो गए थे और दादी ने उनकी परवरिश की थी। शुरुआती पढ़ाई के बाद साल 1959 में रतन टाटा ने आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की और फिर अमेरिका की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी चले गए। इसके बाद साल 1962 में उनकी वतन वापसी हुई और उन्होंने बिजनेस सेक्टर में Tata Steel के जरिए कदम रखा, हालांकि उन्होंने शुरुआत में कर्मचारी के तौर पर इसे ज्वाइन किया था और जमशेदनगर प्लांट में उन्होंने कर्मचारी बनकर काम किया और बारीकियां सीखीं।

रतन टाटा को 21 साल की उम्र में साल 1991 में ऑटो से लेकर स्टील तक के कारोबार से जुड़े समूह, टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया था। चेयरमैन बनने के बाद रतन टाटा ने टाटा ग्रुप को एक नई ऊंचाई पर पहुंचाया था। उन्होंने 2012 तक इस समूह का नेतृत्व किया, जिसकी स्थापना उनके परदादा ने एक सदी पहले की थी। 1996 में टाटा ने टेलीकॉम कंपनी टाटा टेलीसर्विसेज की स्थापना की और 2004 में टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) को मार्केट में लिस्‍ट कराया था। भारत सरकार ने रतन टाटा को पद्म भूषण (2000) और पद्म विभूषण (2008) द्वारा सम्मानित किया। ये सम्मान देश के तीसरे और दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान हैं। रतन टाटा बेहद सदा जीवन जीते थे, लेकिन उन्हें कई चीजों का शौक भी था। इनमें कार से लेकर पियानो बजाना तक शामिल है। इसके साथ ही विमान उड़ाना भी उनकी फेवरेट लिस्ट में सबसे ऊपर था। Tata Sons से अपने रिटायरमेंट के बाद रतन टाटा ने कहा था कि अब मैं अपना बाकी जीवन अपने शौक पूरे करना चाहता हूं। अब मैं पियानो बजाऊंगा और विमान उड़ाने के अपने शौक को पूरा करूंगा।