Big Breaking: लैंगिक भेदभावपूर्ण कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त! यूपी-उत्तराखण्ड सरकार को जारी किया नोटिस, जानें क्या है मामला?

Big Breaking: Supreme Court strict on gender discriminatory laws! Notice issued to UP-Uttarakhand government, know what is the matter?

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी और उत्तराखण्ड सरकार को नोटिस भेजकर लिंग के आधार पर भेदभाव करने वाले कानूनों को हटाए जाने पर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर एक बेटी की याचिका और एक अन्य मामला जिसमें विधवा महिला ने ससुराल की संपत्ति में हिस्सेदारी का दावा किया है। जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई में 3 सदस्यीय समिति ने यह नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता श्वेता गुप्ता के वकील केसी जैन ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट ने साल 2019 में हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम में लैंगिक आधार पर भेदभाव के प्रावधानों के तहत इस संबंध में राहत देने की मांग करने वाली याचिका पर विचार किया था। याचिकाकर्ता का कहना था कि उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता 2006 (UP Revenue Code 2006) की धारा 109 के तहत जब एक महिला (जिसे अपने पिता से जमीन विरासत में मिली है) की मौत हो जाती है तो उसकी जमीन उसके अपने उत्तराधिकारियों के बजाय उसके पति के उत्तराधिकारियों को हस्तांतरित हो जाती है।

इसी तरह प्रावधान ने शादी के बाद अपने पिता से विरासत में मिली जमीन पर बेटी के मालिकाना हक को भी खत्म कर दिया गया। इसी प्रावधान में ये भी प्रावधान किया गया है कि यदि विधवा महिला पुनर्विवाह यानी दोबारा शादी करती है तो वो अपने मृत पति से विरासत में मिली भूमि से वंचित हो जाती है। यानी पति से मिली संपत्ति पर उसका अधिकार समाप्त हो जाएगा। क्योंकि, यह भूमि अंतिम पुरुष धारक के अगले जीवित उत्तराधिकारी को मिलेगी। याचिकाकर्ता का कहना है कि 'क्या महिला की वैवाहिक स्थिति उसकी पहचान निर्धारित कर सकती है? जिससे वो भूमि के अधिकार का हकदार है या नहीं। जबकि, उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के तहत उत्तराधिकार के लिए पुरुष की वैवाहिक स्थिति का कोई महत्व नहीं है। इसकी भी जानकारी दी जाए। वहीं, पूरे मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों राज्यों से जवाब मांगा है।