बिग ब्रेकिंगः ISRO ने रचा एक और कीर्तिमान! ‘बाहुबली’ सैटेलाइट CMS-03 सफलतापूर्वक लॉन्च, जानें क्या है सैटेलाइट की खासियत?

Big Breaking: ISRO sets another record! 'Bahubali' satellite CMS-03 successfully launched. What are its special features?

नई दिल्ली। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने आज रविवार को एक और कीर्तिमान रचते हुए 4400 किलो का वजनी बाहुबली सैटेलाइट CMS-03 (GSAT-7R) को सफलतापूर्वक लांच कर दिया है। अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने बताया कि लगभग 4,410 किलोग्राम वजन वाला यह उपग्रह भारत की धरती से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (जीटीओ) में प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी उपग्रह है। यह उपग्रह एलवीएम3-एम5 रॉकेट के जरिये लॉन्च किया गया। जिसे इसकी भारी भारोत्तोलन क्षमता के लिए ‘बाहुबली’ नाम दिया गया है।  इससे नौसेना की स्पेस-बेस्ड कम्युनिकेशन (अंतरिक्ष से संचार) और समुद्री इलाके की निगरानी (मैरिटाइम डोमेन अवेयरनेस) की क्षमता मजबूत हो जाएगी। GSAT-7R एक कम्युनिकेशन सैटेलाइट है, यानी ये संचार का माध्यम बनेगा। ये पूरी तरह से भारत में ही डिजाइन और बनाया गया है। ये सैटेलाइट नौसेना के जहाजों, हवाई जहाजों, पनडुब्बियों और समुद्री ऑपरेशंस सेंटर्स के बीच तेज और सुरक्षित संचार करेगा। सबसे खास बात ये है कि ये भारत का अब तक का सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट है। इसका वजन लगभग 4400 किलोग्राम है। इसमें कई देसी तकनीक वाले पार्ट्स लगे हैं, जो खास तौर पर नौसेना की जरूरतों के लिए बनाए गए हैं। ये आत्मनिर्भर भारत का एक बड़ा उदाहरण है, जहां हम अपनी ही तकनीक से मजबूत हो रहे हैं। 

लॉन्च कैसे हुआ?
ये सैटेलाइट आज 2 नवंबर 2025 को सतीश धवन स्पेस सेंटर (SDSC- SHAR) श्रीहरिकोटा (आंध्र प्रदेश) के दूसरे लॉन्च पैड से शाम 5:26 मिनट पर लॉन्च होगा। ISRO का ये सेंटर रॉकेट लॉन्च करने के लिए मशहूर है। ISRO के वैज्ञानिकों ने इसे महीनों की मेहनत से तैयार किया है।

भारतीय नौसेना के लिए क्यों महत्वपूर्ण?
आज के समय में समुद्री सुरक्षा की चुनौतियां बहुत बढ़ गई हैं। चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों की वजह से हिंद महासागर में तनाव रहता है। GSAT-7R नौसेना को अंतरिक्ष से नजर रखने और तुरंत कार्रवाई करने की ताकत देगा। नौसेना के चीफ ने कहा है कि ये सैटेलाइट राष्ट्र की समुद्री हितों की रक्षा के लिए एक बड़ा कदम है।
संचार मजबूत: पहले सैटेलाइट्स से कम्युनिकेशन सीमित था। अब ये ज्यादा तेज और सुरक्षित होगा।
निगरानी बढ़ेगी: समुद्री इलाके में दुश्मन की गतिविधियों पर नजर रखना आसान हो जाएगा।
आत्मनिर्भरता: ये सैटेलाइट 100% भारतीय तकनीक से बना है। इससे हम विदेशी सैटेलाइट्स पर निर्भर नहीं रहेंगे।