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एक चोर ऐसा भीः कवि के घर चोरी कर पछताया शख्स! पद्मश्री सम्मान देखते ही लिखा माफीनामा, लौटाया सारा सामान

A thief like this: The man repented after stealing from the poet's house! Wrote an apology as soon as he saw the Padmashree award, returned all the belongings

नई दिल्ली। मुंबई से एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है, यहां एक कवि के घर में चोरी करने के बाद चोर को ऐसा पछतावा हुआ कि उसने माफीनामा लिखकर सारा सामान लौटा दिया। दरअसल चोर एक कवि के घर में घुसा। उसने दीवार पर लगा महंगा एलईडी तो चुराया ही। साथ ही खाने-पीने की वस्तुएं तूर, चना, मूंग और मसूर आदि दालों के पैकेट, तेल, साबुन और चायपत्ती भी उठा ले गया। चूंकि घर में कोई नहीं था, इसलिए उसने इत्मीनान से दो बार में चोरी की। जब दूसरी बार चोरी कर रहा था, तभी उसे पद्मश्री का सम्मानचिह्न, तमाम बड़े पुरस्कारों की बड़ी ट्रॉफियां और दीवारों पर टंगी तस्वीरें देखकर पता चला कि यह तो मराठी के मशहूर कवि नारायण सुर्वे का घर है। चूंकि उसने सुर्वे की कविताएं पढ़ी थीं, इसलिए उसे अपने काम पर बड़ा पछतावा हुआ।

उसने न केवल चोरी किया गया टीवी वापस उनके घर छोड़ा, बल्कि एक पन्ने पर माफीनामे का नोट लिखा कि मुझे मालूम नहीं था कि यह महान कवि नारायण सुर्वे का घर है। मालूम होता तो चोरी नहीं करता। मैं एक-एक कर सारा सामान लौटा रहा हूं। घटना रविवार को रायगड के नेरल में हुई। नेरल स्टेशन के पास ही सोसायटी है ‘स्वानंद’। यहीं रहती हैं नारायण सुर्वे की बेटी सुजाता गणेश घारे। अपने आखिरी दिनों में नारायण सुर्वे उनके साथ रहे थे। एनबीटी से बातचीत में उन्होंने कहा, मैं दस दिन के लिए बेटे के घर विरार गई हुई थीं। मेरी बाई ने मुझे चोरी के बारे में बताया। मैं हैरान हूं। मुझे अपने कवि पिता के इस सामर्थ्य पर फिर-फिर गर्व की अनुभूति हो रही है। पुलिस इस अनूठे केस की जांच कर रही है। 

नारायण सुर्वे का नाम मराठी के शीर्षस्थ कवियों में शुमार है। ‘ऐसा गा मी ब्रह्म’, ‘माझे विद्यापीठ’, ‘जाहीरनामा’, ‘सनद’ और ‘नव्या माणसाचे आगमन’ उनकी प्रसिद्ध कृतियां हैं। उन्हें पद्मश्री, सोवियत लैंड नेहरू अवॉर्ड, कबीर सम्मान, साहित्य अकादमी सम्मान मिले हैं। कुसुमाग्रज, विंदा करंदीकर, केशवसुत के अलावा जिस मराठी कवि को हिंदी में खूब पढ़ा गया है, वह सुर्वे ही हैं। वह प्रख्यात सामाजिक कार्यकर्ता भी थे। उन्होंने कई मजदूर संगठनों में काम किया था। 83 वर्ष की अवस्था में लंबी बीमारी के बाद 16 अगस्त 2010 को नेरल में उनका निधन हो गया था।