सरकारी कार्यक्रम में मंच से शिक्षा मंत्री को एक शिक्षक ने लिया आड़े हाथों! सकते में अफसर

चमोली।सूबे के शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत उस वक्त सकते में आ गए,जब उनके सामने ही मंच पर खड़े होकर एक शिक्षक ने व्यवस्था पर सवाल दाग दिए। इतना ही नहीं शिक्षक ने प्रधानाचार्य पदों पर प्रमोशन में देरी और सरकारी नियमों की अनदेखी पर सीधे-सीधे धन सिंह रावत को आड़े हाथों ले लिया। जिससे कुछ देर के लिए मंच और पंडाल में असंमजस की स्थिति बन गई। इसी बीच किसी ने रोकने की कोशिश भी की,लेकिन शिक्षक अपने बातों पर कायम रहे। वहीं सरकारी कार्यक्रम में शिक्षा मंत्री को आड़े हाथों पर लेने का यह मामला अब सुर्खियों में आ गया है।
जानकारी के मुताबिक चमोली जिले में आयोजित एक सरकारी कार्यक्रम उस समय सुर्खियों में आ गया, जब एक शिक्षक ने भरे मंच से शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत को सीधे-सीधे आड़े हाथों ले लिया. मामला प्रधानाचार्य पदों पर प्रमोशन में हो रही देरी और सरकारी नियमों की अनदेखी से जुड़ा था। जहां एक शिक्षक ने खुले मंच से ही व्यवस्था पर सवाल खड़े किए और कहा कि 'मंत्री जी, वरना आपको लोग गंभीरता से नहीं लेंगे। शिक्षक का यह बयान सुनकर मंच और पंडाल में सन्नाटा छा गया। मंत्री धन सिंह रावत के बगल में खड़े शिक्षक कहते नजर आ रहे हैं कि '2016 से तड़प प्रमोशन के लिए रहे हैं। 2300 प्रमोशन होने हैं। पूरे उत्तराखंड के विद्यालय प्रधानाचार्य विहीन हैं. कब भरेंगे ये पद? मंत्री जी, आप इसे गंभीरता से लीजिए...जिस पर धन सिंह रावत कहते हैं कि 'हो गया तो बतातें हैं...इसके बाद शिक्षक कहते हैं कि 'मंत्री जी, सुनिए। हम बच्चों में कॉन्फिडेंस की कमी कर रहे हैं। मैं एक शिक्षक हूं।
इसी बीच पीछे से एक महिला आती है जो शिक्षक को रोकने की कोशिश करती है, लेकिन शिक्षक महिला को रोकते हुए कहते हैं 'आप रूकिए एक मिनट..' वहीं, मंत्री धन सिंह रावत भी महिला को रोकते हुए कहते हैं कि 'बोलने दीजिए...' इसके बाद शिक्षक कहते नजर आ रहे हैं कि 'क्या मैं गलत कर रहा हूं। इसके बाद कोई अन्य शख्स माइक थामकर शिक्षकों का पक्ष रखते हैं। साथ ही मामले के कोर्ट में पहुंचने की बात करते हैं। इसके साथ ही प्रमोशन करने की मांग करते हैं। आखिर में धन सिंह रावत कहते हैं कि 'कोर्ट से आप केस वापस लें,अगले दिन ही प्रमोशन कर देंगे। वहीं पूरे मामले में शिक्षक कहना था कि सालों से प्रमोशन के लिए योग्य शिक्षक इंतजार कर रहे हैं, लेकिन सरकारी तंत्र की हीलाहवाली के चलते न तो नियम स्पष्ट हैं और न ही प्रक्रिया पारदर्शी है। शिक्षक ने मंच से ये भी कहा कि वो डरते नहीं, इसलिए अपना नाम और पहचान भी खुद ही सार्वजनिक कर रहे हैं। ताकि कोई यह न कहे कि वो छिपकर बोल गए। उधर अब लोग शिक्षक की बेबाकी की सराहना कर रहे हैं और सरकार से सवाल कर रहे हैं कि आखिर शिक्षा विभाग की अनदेखी कब तक जारी रहेगी?