फ़ैक्ट चेक: कहीं आप भी तो हाथरस गैंगरेप पीड़िता को न्याय दिलवाने के लिए किसी और लड़की की फ़ोटो तो शेयर नही कर रहे वायरल हो रही फ़ोटो किसी और युवती की है ऐसे में केस भी हो सकता है

उत्तरप्रदेश के हाथरस में हुए विभत्स गैंगरेप और पीड़िता की मौत के बाद पूरा देश गुस्से में है लोग पीड़िता के लिए न्याय मांगने के लिए एक फोटो हैशटैग के साथ खूब शेयर कर रहे है इसके साथ ही एक बड़ी बात भी सामने आई है वो है कि सोशल मीडिया पर जो फोटो वायरल हो रही है, जिसमें बताया गया है कि यह गैंगरेप पीड़ित लड़की है, असल में वह लड़की चंडीगढ़ की मनीषा थी, जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है उसकी दो साल पहले ही बीमारी के कारण मौत हो गई थी, अब उसकी तस्वीर को हाथरस पीड़िता की तस्वीर बताकर वायरल किया जा रहा है और उसके लिए न्याय की मांग की जा रही है,हालांकि लोग पीड़िता के लिए न्याय ही मांग रहे है फ़ोटो शेयर करने के पीछे लोगो की गलत मंशा भी नही है लेकिन अनजाने में वायरल हो रही इस फ़ोटो से मनीषा के परिजन दुखी हैं,क्योंकि जो लोग मनीषा यादव को जानते थे वो उसके परिजनों को फोन फऊँ कर कर के परेशान कर रहे हैं, सोशल मीडिया पर आम जनता ही नहीं, बल्कि बड़े-बड़े सेलिब्रिटी भी चंडीगढ़ की मनीषा की तस्वीर को वायरल कर रहे है और लोग कई कई लोगो को उस फ़ोटो को टैग भी कर रहे हैं। 




देश भर में वायरल हो रही मनीषा की फ़ोटो की वजह से उसके पिता के जख्म फिर ताजा हो गए हैं, जो अपनी जवान बेटी के चले जाने का गम भुलाने की कोशिश कर रहे थे, मनीषा के नाम में हैशटैग के साथ कई ट्रेंड्स चल रहे हैं, जिसे देखकर उसके पिता का कहना है कि बेवजह आज फिर बेटी की यादें तीर की तह चुभ रही हैं।मनीषा के पिता मोहन लाल यादव ने मीडिया को बताया कि उन्हें बेहद दुख हो रहा है कि उनकी बेटी की मौत के बाद उसकी इस तरह से बदनामी की जा रही है, मोहन लाल ने बुधवार को चंडीगढ़ के एसएसपी को इस संबंध में शिकायत भी दी है और कहा है कि सोशल मीडिया पर उनकी बेटी की तस्वीरें वायरल होने से रोका जाए,अगर कोई ऐसा कर रहा है तो उन पर कार्रवाई की जाए।



आपको बता दें कि मनीषा यादव का परिवार रामदरबार काॅलोनी में रहता है, मनीषा की 21 जून 2018 को शादी हुई थी,उसे पथरी की बीमारी थी और दिनों दिन ये बीमारी बढ़ती गई, 22 जुलाई 2018 को मनीषा की मौत हो गई।आपको बताते चले कि रेप पीड़ित के बारे में किसी भी तरह की जानकारी को सार्वजनिक करना दंडनीय अपराध है,ऐसा करने वालों पर आईपीसी की धारा 228(ए) के तहत कार्रवाई हो सकती है, इस धारा के तहत दोषियों को दो साल तक की सजा और जुर्माने का प्रावधान है, पुलिस से मामले की जांच की मांग की जाएगी।