सरकार चुकाती है मंत्रियों का आयकर

आप शायद यकीन न करें लेकिन यह सौ फीसद सच है कि मुख्यमंत्री समेत उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों को आयकर के रुप में कोई धनराशि नहीं चुकानी पड़ती।अविभाजित उत्तर प्रदेश में वर्ष 1981 से शुरु यह व्यवस्था अलग राज्य बनने के बाद पिछले लगभग 19 सालों से उत्तराखंड में भी बदस्तूर जारी है।विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष को भी इस सुविधा का लाभ मिल रहा है।उत्तराखंड 9 नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर देश का 27 वां राज्य बना। स्वाभाविक रुप से जो भी नियम कायदे उत्तर प्रदेश में उस वक्त विद्यमान थे,उन्हें उत्तराखंड ने लगभग पूरी तरह अंगीकार किया।ऐसी ही व्यवस्था मंत्रिमंडल के सदस्यों के आयकर भुगतान की है।जिसे वर्ष 1981 में तत्कालीन मुख्यमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह के कार्यकाल के दौरान शुरु किया गया था।अब उत्तराखंड बने 19 साल होने जा रहे हैं।और यह व्यवस्था उसी तरह कायम है।यह स्थिति तब है जबकि मंत्रियों को वर्तमान में प्रतिमाह लगभग 4.40 लाख रुपये वेतन ओर भत्तों के रुप में मिल रहे हैं।जहां तक विधायकों का सवाल है उन्हें कुछ भत्तों में आयकर की धारा 10 सी के अंतर्गत छूट मिलती है।और मंत्रियों का आयकर सरकार चुकाती है।