सरकारी अस्पतालों के जन औषधि केंद्रों में दवाइयों की भारी कमी का मामला पहुंचा हाइकोर्ट
आम जनता को सस्ती दवाइयां उपलब्ध हो सके इसके लिए मोदी सरकार ने सभी सरकारी अस्पतालो में जन औषधि केंद्र की व्यवस्था करवाई लेकिन बावजूद इसके लोगों को बाजार से महंगी दवाइयां लेनी पड़ रही हैं,सरकारी अस्पतालों में खुले इन जन औषधि केंद्रों में पिछले लंबे समय से दवाईयों की भारी कमी व वित्तीय अनियमितताओं का मामला अब उत्तराखंड हाईकोर्ट पहुच गया है मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए आज कोर्ट ने सचिव औषधि भारत सरकार,औषधि ब्यूरो भारत सरकार,स्वास्थ्य सचिव उत्तराखंड, जिला रेडक्रॉस सोसायटी नैनीताल व राज्य रेडक्रॉस सोसायटी को नोटिस जारी कर 21 दिनों के भीतर विस्तृत जवाब मागने के साथ ही कोर्ट ने पूछा है किन वजहों से जन औषधि केंद्रों में दवाईयां नही आ रही है। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिये 3 सप्ताह बाद की तिथि नियत की है।
आपको बता दें कि हल्द्वानी निवासी समाजसेवी अमित खोलिया द्वारा नैनीताल हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर कहा है नैनीताल जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में गरीबो को बाजार मूल्य से कम दामों पर जैनरिक दवाईयों को उपलब्ध कराने के मकसद से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 1 जुलाई 2015 को जन औषधि केंद्रों को खोला गया था और इसका जिम्मा रेडक्रॉस सोसायटी को सौंपा गया था तांकि आम जन को इसका लाभ मिले मगर लंबे समय से जन औषधि केंद्रों की हालत इतनी खराब है कि दवाईयां ही उपलब्ध नही है जबकि कोरोना काल चल रहा है ऐसे में लोग बाजार से महंगी दवाईयों को खरीदने के लिये मजबूर है और जन औषधि केंद्र केवल शोपीस बनकर रह गए है। लिहाजा केंद्रों का संचालन रेडक्रॉस से हटा कर किसी अन्य संस्था को दिया जाये।