आज भी जिन्दा है महाभारत का ये रहस्यमयी योद्धा!अकेले अपने दम पर महाभारत लड़ने की ताकत थी

महाभारत में कृष्ण अर्जुन युधिष्ठर दुर्योधन ये सब तो लोगो को अच्छे से याद होंगे लेकिन एक एसा वीर योद्धा महाभारत में मौजूद था जिसके बारे मे कहा जाता है कि वो आज भी जिन्दा है।अश्वथामा युद्ध के मैदान दहाड़ते हुये शेर की तरह थे मौत से पहले हार जो मान ले वो उन योद्धाओं मे नही थे एक श्लोक से आप अश्वथामा के किरदार को अच्छे से समझ सकते हैं।

पराजयो वा मृत्युर्वा श्रेयान् मृत्युर्न निर्जयः

विजितारयो ह्येते शस्त्रोपसर्गान्मृतोपमाः।।

अर्थात् जिसने अस्त्र डाल दिये हों आत्मसमर्पण कर दिया हो वे सभी शत्रु विजित ही हैं वो मृत के समान ही हैं-अश्वथामा।

महाभारत में द्रोण पुत्र ही अकेला ऐसा योद्धा था जो अपने दम पर पूरा युद्ध लड़ने की क्षमता रखता हो।

अश्वथामा का जन्म भारद्वाज ऋषि पुत्र द्रोण के घर हुआ था जन्म लेते ही अश्वथामा के मुह से अश्व यानी घोड़े के समान आवाज निकली ,आवाज इतनी तेज थी कि सभी दिशाओं मे उनकी आवाज गूंजने लगी इसलिये उनका नाम अश्वथामा रखा गया।महाभारत युद्ध के बाद 18 जीवित लोगो मे अश्वथामा भी थे।महाभारत मे अश्वथामा को कोई हरा नही पाया था कहा जाता है कि अश्वथामा अपने पिता की मृत्यू का बदला लेने जब निकले तब उनसे एक चूक हो गयी थी और तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हे युगो युगो भटकने का श्राप दे दिया था तब से लगभग 5000 साल हो चुके हैं और अश्वथामा आज भी भटक रहे हैं। मध्यप्रदेश के बुरहानपुर शहर से 20 किमी दूर असीरगढ़ का किला है माना जाता है इस किले मे स्थित शिव मंदिर में अश्वथामा भी पूजा करने आते हैं यहां के स्थानीय निवासी अश्वथामा से जुड़ी कई कहानिया भी सुनाते है।उनका मानना है कि अश्वथामा अब बहुत कमजोर हो गये है लेकिन पूजा करने से पहले किले के ही एक तालाब मे आकर नहाते हैं।इसके अलावा मप्र के ही गौरी घाट के किनारे भी अश्वथामा के भटकने का उल्लेख मिलता है हालांकि इन बातो का अभी तक कोई भी प्रमाण आज तक नही मिला है पर अगर धर्म और शास्त्रो की माने तो अश्वथामा अपराजित और अमर है उनके जैसा योद्धा न कभी हुआ है न कभी होगा।